
मीरजापुर, 24 अप्रैल (Udaipur Kiran) । ओड़िशा के क्योंझर जिले से आए 27 आदिवासी किसान अब जैविक सब्जी उत्पादन की नई राह पर कदम बढ़ा चुके हैं। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, अदलपुरा में 24 से 30 अप्रैल तक आयोजित एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत ये किसान, जिसमें 7 महिलाएं भी शामिल हैं, उन्नत तकनीकों की जानकारी हासिल कर रहे हैं।
संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने प्रशिक्षण के उद्घाटन अवसर पर कहा कि जलवायु परिवर्तन के दौर में फसल विविधीकरण अत्यंत आवश्यक हो गया है। कम संसाधनों में अधिक उत्पादन और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सब्जी आधारित खेती कारगर समाधान है। यही नहीं, इस पहल से आदिवासी क्षेत्रों में आर्थिक समृद्धि भी लाई जा सकती है।
इस प्रशिक्षण का मकसद सिर्फ खेती की तकनीक सिखाना नहीं, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाना भी है। मेरा गाँव, मेरा गौरव, फार्मर फर्स्ट प्रोग्राम जैसी योजनाओं के माध्यम से वैज्ञानिक अब गांव-गांव जाकर किसानों को जागरूक कर रहे हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा हाल ही में संपन्न पोषण पखवाड़ा के तहत भी पोषण ट्रैकर ऐप और सामुदायिक पोषण प्रबंधन मॉड्यूल जैसे टूल्स की जानकारी दी गई, जिससे गांवों में पोषण संबंधी समस्याओं से बेहतर तरीके से निपटा जा सके।
संस्थान के वैज्ञानिकों ने कम लागत वाली जैविक खेती पर जोर दिया, जिससे किसान न सिर्फ अपनी उपज बढ़ा सकें, बल्कि बाजार में भी बेहतर कीमत पा सकें। प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. डी.आर. भारद्वाज और डॉ. नीरज सिंह ने किसानों को प्रोत्साहित किया कि वे इस प्रशिक्षण को एक नई शुरुआत के रूप में लें और उद्यमिता की ओर कदम बढ़ाएं।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
