ढाका, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष खालिदा जिया को आज बड़ी कानूनी राहत मिल गई। ढाका हाई कोर्ट ने खालिदा जिया के खिलाफ दायर 11 आपराधिक मामलों को खत्म करने का फैसला सुनाया। शेख हसीना सरकार के कार्यकाल के दौरान खालिदा के खिलाफ 2015 में अलग-अलग समय पर ढाका के विभिन्न थानों में आगजनी, हिंसा और राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए थे।
बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार के अनुसार, ढाका हाई कोर्ट के जस्टिस एकेएम असदुज्जमान और जस्टिस सैयद इनायत हुसैन की पीठ ने यह फैसला सुनाया। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने कुछ समय पहले याचिका दाखिल कर इन मामलों की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी।
खालिदा जिया के वकील जैनुल आबेदीन, महबूब उद्दीन खोकोन, कैसर कमाल और नासिर उद्दीन अहमद अशीम ने संवाददाताओं को बताया कि आगजनी और हिंसा के 10 मामलों की सुनवाई की कार्यवाही इस आधार पर रद्द कर दी गई कि उनकी मुवक्किल घटनास्थलों पर मौजूद नहीं थी। इसके अलावा खालिदा जिया के खिलाफ राजद्रोह का मामला भी रद्द कर दिया गया। यह मामला राज्य की अनुमति के बिना एक वकील ने दायर की थी।
शेख हसीना सरकार के पतन के बाद खालिदा जिया की कानूनी उलझनें और चुनौतियां काफी हद तक कम हुई हैं। पांच अगस्त को तख्तापलट के अगले दिन राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने विपक्षी दल की प्रमुख नेता खालिदा जिया की रिहाई का आदेश दिया। वह कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद से नजरबंद थीं। शेख हसीना की कट्टर प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में 17 साल जेल की सजा सुनाए जाने के बाद 2018 में जेल में डाल दिया गया था।
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में 15 अगस्त, 1945 को जन्मीं खालिदा जिया का राजनीतिक करियर उनके पति जियाउर रहमान की 15 अगस्त, 1975 को हत्या के बाद शुरू हुआ। रहमान 1977 से 1981 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे। उन्होंने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की 1978 में स्थापना की। 1991 में वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। पाकिस्तान की बेनजीर भुट्टो के बाद वह मुस्लिम दुनिया की दूसरी महिला प्रधानमंत्री बनीं।
साल 2001 से 2006 तक वह दूसरे कार्यकाल के दौरान भी प्रधानमंत्री रहीं। वर्ष 2006 में सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जनवरी 2007 के चुनाव को हिंसा और अंदरूनी कलह के कारण स्थगित कर दिया गया। इस कारण कार्यवाहक सरकार पर सेना ने नियंत्रण कर लिया। अपने अंतरिम शासन के दौरान कार्यवाहक सरकार ने जिया और उनके दो बेटों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
———–
(Udaipur Kiran) / मुकुंद