Madhya Pradesh

परंपरागत पैथी सर्वश्रेष्ठ है, इसके दस्तावेजीकरण की आवश्यकता: मंत्री परमार

परंपरागत पैथी सर्वश्रेष्ठ, इसके दस्तावेजीकरण की आवश्यकता: मंत्री परमार

– राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में दो दिवसीय प्री-लोकमंथन अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न

भोपाल, 22 सितंबर (Udaipur Kiran) । आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने कहा कि आज के परिदृश्य में परंपरागत औषधियों को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। जनजातीय वैद्यों के द्वारा स्वदेशी उपचार पद्धतियों के प्रत्यक्ष प्रमाण होने के बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं में विश्वसनीयता स्थापित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण परिवेश का व्यक्ति भी पौधों एवं वृक्षों के आवश्यक एवं महत्वपूर्ण गुणों की जानकारी रखता है और प्रत्यक्ष प्रमाण होने के बावजूद उसे मान्यता नहीं मिल पाती है। यह परंपरागत ज्ञान जो पीढ़ियों से सतत् चला रहा है, उसका पालन हम वर्तमान में भी कर रहे हैं।

परमार ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने शोध करके परंपरागत विधाओं को स्थापित किया है, लेकिन आज उस समय का वैज्ञानिकता आधारित दृष्टिकोण विलुप्त हो गया है, जिसे पुनर्शोध एवं अनुसंधान की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश की परम्पराओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अभी भी विद्यमान है। परंपरागत पैथी सर्वश्रेष्ठ है। आज लोग आधुनिक चिकित्सा पद्धति पर निर्भर हो गए हैं, जबकि परंपरागत पैथी की अपनी महत्ता है। उन्होंने परंपरागत पैथी के दस्तावेजीकरण करने की बात कही।

आयुष मंत्री परमार रविवार को भोपाल स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के आवृत्ति भवन में वाचिक परंपरा में प्रचलित हर्बल उपचार प्रणालियाँ: संरक्षण, संवर्धन और कार्य योजना विषय पर आयोजित दो दिवसीय प्री-लोकमंथन अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में सम्मिलित होकर पारंपरिक एवं प्राकृतिक उपचार पद्धतियों के महत्व पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने भारतीय परंपरागत ज्ञान को पूंजी बताते हुए कहा कि यह भारत के समाज में रचा बसा है। उन्होंने कहा कि जनजातीय वैद्यों एवं उनकी औषधियों को मान्यता देने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर मंत्री परमार ने देश भर से आए सभी पारंपरिक चिकित्सकों एवं वैद्यों के स्टॉल का अवलोकन कर उनसे औषधियों के बारे मे जानकारी भी प्राप्त की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रज्ञा प्रवाह के सदस्य प्रफुल्ल केलकर ने कहा कि भारत सरकार द्वारा वर्तमान में आयुष्मान भारत एवं वन हेल्थ मिशन द्वारा स्वास्थ्य के ऊपर ध्यान दिया जा रहा है, यह एक नया कदम है।

संग्रहालय के निदेशक डॉ अमिताभ पांडे ने कहा कि जनजाति समुदाय जंगल को ही अपना जीवन मानते हैं। विकासशील देशो में जहाँ एक तिहाई जनसंख्या की आवश्यक औषधियों तक पहुँच नहीं है, वहां एक वैकल्पिक उपाय के रूप में यह सुरक्षित, प्रभावशाली पारंपरिक औषधियां स्वास्थ्य देख भाल को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है।

उल्लेखनीय है कि प्री-लोकमंथन अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन प्रज्ञा प्रवाह और एंथ्रोपोस इंडिया फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय और दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के सहयोग से संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।

इस सम्मेलन के आयोजन का उद्देश्य भारत में पारंपरिक, प्राकृतिक उपचार पद्धतियों और हर्बल चिकित्सा के महत्व को उजागर करना है। विशेषकर जनजातीय समुदायों में स्वास्थ्य देखभाल में परंपरागत चिकित्सकों की भूमिका का पता लगाना, उनके सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना और जैव विविधता और हर्बल उपचार पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर चर्चा करना है। इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य देश भर में हर्बल चिकित्सकों के लिए नीति निर्माण पर समर्थन और मान्यता के लिए जनजातीय लोक औषधि को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम में देश भर के विविध समुदायों के पारंपरिक इलाज करने वाले समूहों की सहभागिता है।

पंचायत स्तर पर ‘हीलर्स हट’, हर्बल मेडिसिन गार्डन, छात्रवृत्ति जैसी पहलों के माध्यम से देश भर में गैर- संहिताबद्ध हर्बल चिकित्सकों का समर्थन करने के लिए एक कार्य योजना भी तैयार की जाएगी। भारत में जनजातीय हर्बल उपचार के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक व्यापक कार्य योजना को आकार देने में भी सहायक होगी।

इस अवसर पर प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक, प्रखर वक्ता एवं विचारक जे. नंदकुमार, एमसीयू के कुलसचिव प्रो.डॉ. अविनाश वाजपेई, डीन (अकादमिक) ,प्रो.(डॉ.) पी. शशिकला, प्रज्ञा प्रवाह संस्थान के विभिन्न पदाधिकारीगण, सहयोगी संस्थान के पदाधिकारीगण एवं सम्मेलन की संयोजिका डॉ सुनीता रेड्डी सहित देश भर से पधारे विविध पारंपरिक वैद्य, शोधार्थी एवं विषय विशेषज्ञ उपस्थित रहे। कार्यक्रम समन्वयक डॉ सुदीपा रॉय ने आभार ज्ञपित किया।

ज्ञातव्य है कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल में पांच दिवसीय जनजातीय वैद्य शिविर चल रहा है, इसलिये दर्शकों के लिए संग्रहालय 23 एवं 24 सितंबर को खुला रहेगा।

(Udaipur Kiran) तोमर

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