शिमला, 3 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । जिले शिमला के ठियोग कॉलेज में गुरुवार को स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (साेटाे ने अंगदान संबंधी एक जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया। सोटो की आईईसी कंसल्टेंट रामेश्वरी ने पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के जरिए छात्रों को समाज में अंगदान की जरूरत के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि अंगदान जीवित व मृत दोनों परिस्थितियों में किया जा सकता है। जीवित रहते अंगदान में व्यक्ति नजदीकी रिश्तेदार को किडनी, पेनक्रियाज व लीवर का एक भाग दान कर सकता है। वही ब्रेन डेड स्थिति में व्यक्ति अपने आठ अंग दान करके जरूरतमंद मरीजों का जीवन बचा सकता है। उन्होंने बताया कि ब्रेन डेड की स्थिति कोमा से बिल्कुल अलग होती है, इसमें शरीर वेंटीलेटर के जरिए काम कर रहा होता है और ब्रेन पूरी तरह से मृत हो चुका होता है। उन्होंने बताया कि साल 2023 तक देशभर में करीब 1037 लोगों ने अंगदान किया, जबकि हर साल दर्जनों लोग अलग-अलग दुर्घटनाओं के कारण ब्रेन डेड होते हैं, जो कि अंगदान के लिए सक्षम होते हैं।
उन्होंने बताया कि हर साल 2 लाख मरीजों को किडनी की जरूरत होती है जबकि महज 10 हजार ट्रांसप्लांट हो पाते हैं। वहीं देश में हर साल 30 हजार व्यक्तियों को लीवर की जरूरत होती है जबकि 2 हजार ट्रांसप्लांट ही होते हैं। इसके अलावा प्रतिवर्ष 10 लाख लोगों को आंखों की जरूरत होती है लेकिन महज 50 हजार नेत्र ट्रांसप्लांट हो पाते हैं। देश में अंगदान व नेत्रदान के प्रति जागरूकता ना होने के कारण ऐसा हो रहा है। उन्होंने बताया कि अंगदान किसी भी जाति, धर्म, समुदाय, लिंग, व आयु के लोग कर सकते हैं। अंगदान से संबंधित सही जानकारी वह भ्रम होने की वजह से अधिकतर लोग अंगदान करने से पीछे हट जाते हैं। इसीलिए अगर लोगों में पहले से अंगदान को लेकर पर्याप्त जानकारी होगी तभी ऐसे मौके जरूरतमंदों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा