Uttar Pradesh

आज हिचकियों ने लिखे, यादों के नवगीत

- हिन्दी साहित्य संगम की ओर से आयोजित की गई काव्य गोष्ठी में काव्य पंकित प्रस्तुत करते युवा कवि जितेंद्र कुमार जौली

मुरादाबाद, 02 मार्च (Udaipur Kiran) । साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में मिलन विहार मुरादाबाद स्थित मिलन धर्मशाला में रविवार काे काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। युवा कवि जितेंद्र कुमार जौली ने सुनाया कल तक जो ना कहा, वो आज मुख से बसन्ती बोली, आओ गब्बर मिलकर खेलें होली। काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ ज्ञान की देवी मॉं शारदे के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।

उसके पश्चात श्री राजीव प्रखर ने मॉं शारदे की वन्दना प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष रामदेव द्विवेदी ने की, मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ गजलकार ओंकार सिंह ओंकार तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि रघुराज सिंह निश्चल उपस्थित रहे। संचालन संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली द्वारा किया गया।

काव्य पाठ करते हुए राजीव प्रखर ने कहा कि देख शरारत से भरी, बच्चों की मुस्कान। बूढ़े दद्दू भी हुए, थोड़े से शैतान, सूना-सूना जब लगा, बिन बिटिया घर द्वार, चींचीं चिड़िया को लिया, बाबुल ने पुचकार। नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने दोहे प्रस्तुत किए। आपस के अपनत्व का, जीकर सुखद अतीत। आज हिचकियों ने लिखे, यादों के नवगीत, धन-पद-बल की हो अगर, भीतर कुछ तासीर, जीकर देखो एक दिन वृद्धाश्रम की पीर।

रघुराज सिंह निश्चल ने सुनाया नेकी कर दरिया में डालो, जीवन का सिद्धान्त बना लो। शायर राशिद मुरादाबादी ने कहा- गुरबत की आबरू यूॅं ढक लिया करो, उठाकर दुपट्टा सीने पर रख लिया करो। गजलकार ओंकार सिंह ओंकार ने कहा लोग आजकल कर रहे, निरुद्देश्य ही शोर। किसी लक्ष्य को भेदते, दिखते नहीं सवाल, वाणी में विष घोलकर, बहस करे दिन-रात। हृदय तराजू में मगर, चलते नहीं सवाल। वरिष्ठ कवि रामदत्त द्विवेदी ने कहा-अरे भगवान तू उसको उठा ले दशा जिसकी न देखी जा रही है। पदम सिंह बेचैन ने महाभारत से कर्ण कुंती संवाद प्रस्तुत किया कैसे कह दूॅं मात हमारी। संस्था के कार्यकारी महासचिव राजीव प्रखर द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया।

(Udaipur Kiran) / निमित कुमार जायसवाल

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