HimachalPradesh

भारत के आर्थिक इतिहास को समझने के लिए क्षेत्रीय आर्थिकी का अध्ययन जरूरी : प्रो. दिलबाग 

हमीरपुर, 18 नवंबर (Udaipur Kiran) । ठाकुर राम सिंह इतिहास शोध संस्थान, नेरी और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘हिमाचल प्रदेश का बृहद इतिहास’ शोध परियोजना के अंतर्गत भारत के सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास पर साेमवार काे कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में सुप्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. दिलबाग सिंह, पूर्व आचार्य, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य कार्यकारी परिषद के सदस्य, मुख्य अतिथि व वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।

प्रो. दिलबाग सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत के आर्थिक इतिहास को समझने के लिए क्षेत्रीय आर्थिकी का अध्ययन जरूरी है, क्योंकि देश के विभिन्न क्षेत्रों की अपनी अलग-अलग आर्थिक संरचनाएँ रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अंग्रेजी शासन के दौरान संकलित अभिलेखागारीय स्रोत केवल ब्रिटिश शासन को वैधता प्रदान करने के उद्देश्य से एकत्र किए गए थे, जिनमें भारत के वास्तविक इतिहास का सही चित्रण नहीं मिलता। इसलिए, स्थानीय इतिहास और जनसंघर्षों की जानकारी प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक है।

शोध संस्थान के निदेशक डॉ. चेतराम गर्ग ने हिमाचल प्रदेश के आर्थिक इतिहास के संदर्भ में राज्य की वन संपदा, खनिज संपदा, हस्तशिल्प और लघु उद्योगों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस शोध परियोजना के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक इतिहास के विभिन्न पहलुओं पर तथ्यपूर्ण शोध किया जाएगा, जो प्रदेश के वास्तविक इतिहास को समाज के सामने प्रस्तुत करेगा।

कार्यशाला के पहले सत्र में शोध परियोजना में कार्यरत शोधकर्ताओं ने विभिन्न खंडों पर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके बाद, प्रो. दिलबाग सिंह ने खंड कार्ययोजना के बारे में महत्वपूर्ण सुझाव दिए। दूसरे और तीसरे सत्र में विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक इतिहास पर चर्चा की गई। चौथे सत्र में कार्यशाला में शामिल शोधार्थियों ने अपने प्रश्नों का समाधान प्राप्त किया।

इस कार्यशाला में कुल 15 प्रतिभागियों ने भाग लिया और विभिन्न पहलुओं पर चर्चाएँ की गईं।

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(Udaipur Kiran) शुक्ला

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