लखनऊ, 11 नवंबर (Udaipur Kiran) । निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों को माँ का दूध ही पिलाएं। स्तनपान करने वाले बच्चों में निमोनिया होने का 90 प्रतिशत खतरा कम हो जाता है। माँ का दूध बच्चों के लिए वैक्सीन की तरह काम करता है। बच्चों में कुपोषण भी निमोनिया का बड़ा कारण होता है। स्तनपान बच्चों को कुपोषण से भी बचाता है। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर राजेश यादव ने दी। वह सोमवार को केजीएमयू के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की ओर से आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे।
डा.राजेश यादव ने बताया कि स्तनपान माताओं को भी कई बीमारियों से बचाता है। इसलिए छह माह तक के बच्चों को केवल माँ का दूध ही पिलाएं।
निमोनिया से बचाव के लिए टीका लगवाएं : डा. वेद प्रकाश
केजीएमयू के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा.वेद प्रकाश ने बताया कि निमोनिया को रोकने में टीके महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बच्चों में निमोनिया के मामलों को कम करने के लिए न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) और हेमोफिलस इन्फ्लुएंजी, टाइप बी वैक्सीन एवं खसरा का टीका सबसे प्रभावी प्रयासों में से एक हैं।
डा.वेद प्रकाश ने बताया कि अस्थमा,किडनी,हार्ड व डायबिटीज के मरीजों को निमोनिया का खतरा अधिक होता है। इसलिए निमोनिया से बचाव के लिए टीका लगवाना चाहिए। भारत में हर साल पांच साल से कम उम्र के बच्चों में गंभीर निमोनिया के लगभग 26 लाख मामले सामने आते हैं, जिनमें से लगभग 8,00,000 मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।
जानलेवा है निमोनिया,समय रहते इलाज करायें: डा.आर.ए.एस.कुशवाहा
केजीएमयू के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा.आर.ए.एस.कुशवाहा ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि निमोनिया जानलेवा है। इसलिए समय रहते बीमारी की पहचान कर इलाज किया जाय तो ठीक हो सकती है। केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा.के.के.सावलानी ने बताया कि पांच साल से कम उम्र के बच्चे और 65 साल से अधिक उम्र के वयस्कों में निमोनिया का खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा कुपोषण व अस्थमा, हृदय रोग और मधुमेह जैसी बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों में निमोनिया के खतरे को बढ़ा देती है।
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(Udaipur Kiran) / बृजनंदन