

मुंबई,22 मई ( हि.स.) । पर्यावरण संरक्षण न केवल समय की मांग है बल्कि भविष्य में मानवीय अस्तित्व की रक्षा हेतू बढ़ी जिम्मेदारी भी है। आज के दौर में तेज चाल से बढ़ते शहरीकरण के साथ-साथ प्लास्टिक और उससे उत्पन्न कचरे के बढ़ते उपयोग से पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। इस पृष्ठभूमि में, ठाणे नगर निगम के ठोस अपशिष्ट विभाग ने विश्व जैव विविधता दिवस के अवसर पर एक अनूठा और सहभागी स्वच्छता अभियान चलाया।
इसी घटनाक्रम में आज यह विशेष कार्यक्रम ठाणे पूर्व के कोपरी अनुभाग में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर स्वामी समर्थ मठ मार्ग, जो अक्सर प्लास्टिक की थैलियों, थर्मोकोल और अन्य कचरे से अटा रहता है, इस पहल का केन्द्र बिन्दु बन गया।
कार्यक्रम की शुरुआत अष्टविनायक चौक से हुई. यहां उपस्थित नागरिकों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों ने स्वच्छता को बढ़ावा देने और प्लास्टिक मुक्त समाज बनाने की शपथ ली गई। इसके बाद भव्य जन जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। सभी प्रतिभागी हाथों में तख्तियां, बैनर और पर्यावरण संबंधी नारे लिखे बैनर लेकर सड़कों पर मार्च कर रहे थे। पूरा क्षेत्र “प्लास्टिक मुक्त ठाणे”, “स्वच्छता एक सेवा है”, और “प्रकृति हमारी है, जिम्मेदारी हमारी है” जैसे नारों से भरा हुआ था।
रैली के बाद नागरिकों ने प्रत्यक्ष कार्रवाई में भाग लिया। स्वामी समर्थ मठ मार्ग पर जमा हुए कूड़े-कचरे, प्लास्टिक की थैलियों, आंशिक रूप से जले हुए कूड़े-कचरे और खाद्य थैलियों को उचित तरीके से छांटकर एकत्र किया गया। कुछ स्थानों पर सड़कों के किनारे भी पेड़ लगाए गए। इस अवसर पर नुक्कड़ नाटक प्रांगण सफाई प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस पहल में स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रानी शिंदे, प्रभागीय अधिकारी लक्ष्मण पुरी, मुकेश नेसवणकर के साथ ही प्रभाग के सामाजिक कार्यकर्ता मनोहर चव्हाण, पांडुरंग दलवी, स्वप्निल कोली, गणेश मुकदम आदि की महत्वपूर्ण भागीदारी रही। कई स्थानीय नागरिकों, महिला समूहों और युवाओं ने भी स्वेच्छा से योगदान दिया।
इस अवसर पर ठाणे मनपा ठोस अपशिष्ट विभाग में स्वास्थ अधिकारी डॉ रानी शिंदे ने कहा कि दरअसल टीएमसी के ठोस अपशिष्ट विभाग ने इस पहल के माध्यम से ऐसे अभियान सिर्फ एक दिन के लिए नहीं, बल्कि लगातार लागू करने का संकल्प व्यक्त किया है। और इसे यथार्थ में जमीं पर उतारकर सतत चलाया भी जाएगा। उन्होंने उपस्थित नागरिकों को प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग से जैव विविधता पर पड़ने वाले प्रभाव, मिट्टी में प्लास्टिक के मिश्रण के कारण मिट्टी की गुणवत्ता में कमी तथा पशु स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी देकर विचारोत्तेजक संदेश दिए गए।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
