हुगली, 12 दिसंबर (Udaipur Kiran) । हुगली जिले के परशुरा पंचायत समिति के भवन में मंगलवार को हुई तृणमूल कांग्रेस के बैठक के बाद विरोधियों के सुर तेज हो गए हैं। तृणमूल कांग्रेस के एक अंश ने भी सरकारी भवन में हुए तृणमूल कांग्रेस के बैठक को लेकर असंतोष जाहिर किया है। हालांकि सवाल उठने के बाद स्थानीय तृणमूल नेतृत्व ने आरोपों को खारिज करते हुए गुरुवार को कहा कि कि सरकारी अधिकारियों ने बैठक बुलाई थी। इसलिए तृणमूल का शीर्ष नेतृत्व वहां मौजूद था। कोई राजनीतिक बैठक नहीं हुई।
उल्लेखनीय है कि ब्लॉक तृणमूल अध्यक्ष यशवंत घोष ने पुरशुरा पंचायत समिति भवन में बैठक की थी। बैठक में आरामबाग सांगठनिक जिला तृणमूल अध्यक्ष रामेंदु सिंहराय से लेकर तृणमूल नेता शेख साकिम समेत कई तृणमूल नेता व कार्यकर्ता तथा प्रमुख व उपप्रमुख उपस्थित थे।
इस घटना के सामने आते ही तृणमूल के एक वर्ग ने सवाल उठाए और विपक्ष ने भी इसकी निंदा की। एक तृणमूल नेता ने कहा कि सरकारी भवन में तृणमूल पार्टी की बैठक आयोजित करना सही नहीं है। हमने पार्टी कार्यालय में कई बैठकें और बैठकें की हैं।’ जो लोग अब प्रभारी हैं वे पार्टी अनुशासन का सम्मान नहीं करते हैं। इससे लोगों में गलत संदेश जा रहा है। परिणामस्वरूप, पुरशुरा में तृणमूल दो बार हार गई।
आरामबाग भाजपा सांगठनिक जिलाध्यक्ष और पुरशुरा विधायक बिमान घोष ने गुरुवार को कहा कि तृणमूल पार्टी के नेता पंचायत समिति भवन में बैठक कर रहे हैं। तृणमूल सरकारी संपत्ति को पार्टी की पैतृक संपत्ति मानती है। जहां सरकारी बैठकें होनी चाहिए, वहां पार्टी की बैठकें हो रही हैं। पंचायत समिति को पार्टी कार्यालय बना दिया गया है।
पुरशुरा ब्लॉक तृणमूल अध्यक्ष यशवंत घोष ने कहा कि पीएचई की बैठक थी, तृणमूल कांग्रेस की पार्टी की बैठक नहीं। विधायक के रूप में रामेंदु सिंहराय मौजूद थे। विरोधी बहुत कुछ कहेंगे। ऐसा कोई पत्र नहीं है कि बैठक बुलाई गई है। उन्होंने शिकायत की कि माकपा के दौर में भी सरकारी इमारतों में बैठकें होती थीं।
(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय