
सवाई माधाेपुर, 28 अप्रैल (Udaipur Kiran) । रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक बार फिर खुशी की खबर आई है। रिजर्व की फलौदी रेंज के बोदल नाका के खारिया खाल वन क्षेत्र में बाघिन आरबीटी-2313 ने दो शावकों को जन्म दिया है। इस खबर से वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोगों में हर्ष की लहर दौड़ गई है।
वन विभाग द्वारा लगाए गए कैमरा ट्रैप में बाघिन और उसके नवजात शावक सोमवार सुबह कैद हुए। जानकारी मिलते ही वन विभाग ने बाघिन और शावकों की सतत मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग शुरू कर दी है ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
वन विभाग के अनुसार बाघिन आरबीटी-2313 रणथंभौर की प्रसिद्ध बाघिन टी-79 की संतान है। करीब चार साल की उम्र वाली यह बाघिन बोदल वन क्षेत्र में अपनी टेरिटरी स्थापित कर चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि शावकों के जन्म से रणथंभौर में बाघों की संख्या और जैव विविधता को नया बल मिलेगा।
वन मंत्री संजय शर्मा ने इस अवसर पर सोशल मीडिया मंच एक्स पर खुशी जाहिर करते हुए लिखा कि
रणथंभौर टाइगर रिजर्व से अच्छी खबर… आज आरबीटी 2313, चार साल की मादा बाघ को दाे शावकों के साथ कैमरे में कैद किया गया। यह बाघिन फलोदी रेंज के बोदल नाका के खारिया खाल क्षेत्र में घूम रही है। नर बाघ आरबीटी-108 इसी क्षेत्र का बाघ है और संभवतः शावकों का पिता है।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व 1700 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, देश के प्रमुख टाइगर रिजर्व में गिना जाता है। यहां वर्तमान में लगभग 80 बाघ-बाघिन और शावक हैं, जबकि क्षमता केवल 50 बाघों की है।
टाइगर सफारी के लिए रिजर्व में कुल 10 जोन बनाए गए हैं, जहां पर्यटक सुबह छह से नाै बजे और दोपहर तीन से छह बजे तक सफारी का आनंद ले सकते हैं।
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(Udaipur Kiran) / रोहित
