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हरियाणा से टाइगर पहुंचा कोटकासिम के भगाना गांव, खेतों में मिले पंजे के निशान

Alwar
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अलवर , 30 अगस्त (Udaipur Kiran) । सरिस्का के बफर जोन से निकला टाइगर एसटी 2303 हरियाणा से अब वापस राजस्थान की सीमा में आ गया हैं। जिससे अंदाजा लगाया जा रहा हैं टाइगर पहले की तरह वापस सरिस्का आ रहा हैं। शुक्रवार काे खैरथल तिजारा के कोटकासिम स्थित भगाना गांव के खेतों में टाइगर के पंजों के निशान मिले। ग्रामीणों ने देखते ही इसकी सूचना वन विभाग को दी। सूचना पर मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने पगमर्क देखने के बाद टाइगर के होने की पुष्टि की हैं। इसके बाद से ग्रामीणों को सतर्क कर दिया हैं।

सरिस्का टाइगर रिजर्व के रेंजर शंकर सिंह शेखावत ने बताया कि पगमार्क टाइगर के ही है। टाइगर हरियाणा से झाबुआ के जंगलों से कोटकासिम की ओर मूवमेंट कर चुका है। फिलहाल टाइगर भगाना के बाजरे खेतों में है। ऐसे में अभी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है लेकिन टाइगर दिख नहीं है। सरिस्का की टीम सहित अन्य टीम के सभी लोग मौके पर हैं। शेखावत ने कहा कि उन्होंने आसपास के गांव के किसानों से अपील किया कि खेतों में काम करते वक्त सावधानी बरतें। अगर उन्हें कोई टाइगर का मूवमेंट दिखाई दे तो वह इसकी जानकारी वन विभाग को देवें। आसपास गांव के लोगों और किसानों को सचेत रहने की आवश्यकता है।

झाबुआ का जंगल आया पसंद

दरसल टाइगर को हरियाणा के झाबुआ का जंगल पसंद आ गया हैं। क्योंकि वहां टाइगर नहीं होने के कारण वह अकेला वहां का राजा हैं। बताया जाता हैं झाबुआ के जंगल में टाइगर के लिए शिकार भी आसानी से उपलब्ध हो जाता हैं। क्योंकि यहां हिरण, नीलगाय सहित अन्य जानवर हैं। इस कारण टाइगर को यह जंगल रास आ रहा हैं। जंगल भगाना गांव से कुछ किलाेमीटर की दूरी पर स्थित हैं।

15 दिन के बाद लौटने की ओर मूवमेंट

एसटी 2303 का 15 दिन बाद वापस लौटने का मूवमेंट मिला हैं। 15 अगस्त को बाघ सरिस्का से निकला था। पहले मुंडावर के दरबारपुर गांव में गया। उसके बाद यह रात को ही हरियाणा में पहुंच गया। झाबुआ गांव के जंगल में टाइगर छिप गया था । सात माह पहले जनवरी में भी यह टाइगर हरियाणा पहुंचा था। सरिस्का सहित कई टीम ने लगातार बाघ का पीछा किया लेकिन वह पकड़ में नहीं आया और स्वयं ही वापस आ गया था। अब माना जा रहा हैं अब भी टाइगर स्वयं ही वापस आ जाएगा।

सरिस्का का पहला टाइगर जो हरियाणा गया

यह सरिस्का का पहला टाइगर है जो सरिस्का से करीब 100 किलोमीटर दूर पहुंच गया है। पहले भी यह हरियाणा पहुंचा था। इसकी टैरेटरी सरिस्का कोर एरिया में नहीं थी। यह बाला किलो बफर जोन के आस-पास के एरिया में था। वहां से रेवाड़ी क्षेत्र के गांवों में पहुंच गया, जो करीब 80 किलोमीटर दूर है। इससे पहले टाइगर एसटी 24 जयपुर से अचरोल तक गया है। उससे पहले टाइगर एसटी 13 राजगढ़ के आगे तक चला गया था।

(Udaipur Kiran) / मनीष कुमार

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