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गोरखपुर, 20 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । पुस्तकालय किसी भी शैक्षणिक संस्था का हृदय होता है तथा इसे संबंधित संस्था का ड्राइंग रूम कहा जाता है। शैक्षणिक पुस्तकालय के साथ- साथ सार्वजनिक पुस्तकालय को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि आमजन, बुद्धिजीवी, बुजुर्ग के साथ-साथ छात्र भी ज्ञान अर्जन में महती भूमिका निभा सके। पुरानी ज्ञान संपदा जैसे पांडुलिपि को संरक्षित करना पुस्तकालयों का परम धर्म होना चाहिए। उपरोक्त बातें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बुधवार को विवि परिसर स्थित दीक्षा भवन में लाइब्रेरी प्रोफेशनल एसोसिएशन, नई दिल्ली एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस आन नालेज आर्गेनाइजेशन इन एकेडमिक लाइब्रेरीज (आई- काल 2025) की अध्यक्षता करते हुए कही।
उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतीहारी, बिहार के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा किया भारत वर्ष दुनिया में ज्ञान का केन्द्र है। हमारा अतीत एवं वर्तमान दोनों गौरवशाली है तथा शैक्षणिक सहित अन्य क्षेत्रों में दुनिया के लिए नजीर पेश करता है। उन्होंने अमेरिका सहित अन्य यूरोपीय देशों का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि वहाँ ज्ञान अर्जन शिशु पुस्तकालय से शुरू होकर शोध पुस्तकालय तक निरन्तर चलता रहता है। उन्होंने यूरोपीय देशों की भांति अपने देश में भी एकेडमिक एवं पब्लिक लाइब्रेरी को आर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स के साथ- साथ डिजिटल एवं आनलाइन प्लेटफार्म पर आगे ले जाने के लिए पुस्तकालय विज्ञान के विशेषज्ञों से अनुरोध किया। उन्होंने केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति एवं विकसित भारत 2047 को अंजाम तक पहुंचाने की बात कही। जल सम्पदा के क्षेत्र में प्लेरिज्म, बौद्धिक सम्पदा अधिकार (आईपीआर) को और शक्ति से लागू करने की बात की। साथ ही उन्होंने आरएफआईडी, आडियो विजुअल सेक्शन, पुस्तकों को एक से दूसरे संस्थाओं में आदान-प्रदान, आईटी का प्रयोग एवं मोबाइल लाइब्रेरी के प्रयोग पर बल दिया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में संगोष्ठी निदेशक विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. अनुभूति दूबे ने आगत अतिथियों का स्वागत किया वहीं लाइब्रेरी प्रोफेशनल एसोसिएशन के अध्यक्ष डाॅ. रामानन्द मालवीय ने अपने संस्था के द्वारा भारत समेत पूरी दुनिया में लाइब्रेरी प्रोफेशनल को नई तकनीकों से अवगत कराने की बात कही तथा भारत सरकार के विकसित भारत अभियान 2047 में अहम योगदान का संकल्प लिया। कार्यक्रम में एलपीए के महासचिव डाॅ.सलेक चन्द ने आई-काल 2025 के इतिहास, वर्तमान एवं भविष्य पर विस्तृत चर्चा किया। एलपीए के कोषाध्यक्ष एवं संगोष्ठी के निदेशक आनन्द अंजनी झा ने पूरे देश एवं दुनिया में लाइब्रेरी क्षेत्र के विशिष्ट कार्य करने वाले लाइब्रेरी प्रोफेशनल का घोषणा करते हुए उन्हें अवार्ड से सम्मानित करवाया। इस अवसर पर 77 शोधपत्र के साथ कांफ्रेंस प्रोसिडिंग के पुस्तक का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में विश्वविद्यालय संगीत विभाग की छात्राओं ने कुलगीत प्रस्तुत कर आगत अतिथियों एवं प्रतिभागियों को भाव विभोर कर दिया। डाॅ. सूर्यकान्त त्रिपाठी के संचालन में चले कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप में मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। तत्पश्चात आयोजन समिति की ओर से अतिथियों को पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
विशिष्ट कार्य करने वाले लाइब्रेरी प्रोफेशनल को दिया गया सम्मान
अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (आई-कोल 2025) उद्घाटन सत्र के मध्य में अतिथियों की ओर से एलपीए नई दिल्ली द्वारा देश व दुनिया में पुस्तकालय के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले विभिन्न क्षेत्रों के पुस्तकालय विशेषज्ञों को अवार्ड दिया गया। सम्मान पाने वालों में महत्वपूर्ण लाइफटाइम एचीवमेन्ट अवार्ड-विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के अवकाश प्राप्त प्रो. सोनल सिंह को प्रदान किया गया। सर्वोत्तम विश्वविद्यालय पुस्तकालयाध्यक्ष अवार्ड मिजोरम के डाॅ. सुधीर कुमार झा को प्रदान किया गया। सर्वोत्तम काॅलेज लाइब्रेरियन का अवार्ड मेडिकल साइंस कालेज की रुचि सिन्हा को प्रदान किया गया। सर्वात्त स्कूल लाइब्रेरियन का अवार्ड कोटा राजस्थान के मनीष मकेला को प्रदान किया गया। पब्लिक लाइब्रेरी के क्षेत्र में सर्वोच्च लाइब्रेरियन का अवार्ड राजस्थान के ही डाॅ. दीपक श्रीवास्तव को प्रदान किया गया। कार्पोरेट लाइब्रेरी के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान एनएचपीसी के डाॅ. पीएन शर्मा को दिया गया। वहीं विशेष लाइब्रेरी के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान रोहतक मेडिकल साइंस, रोहतक, हरियाण के बबिता को प्रदान किया गया। उपरोक्त सम्मान के सम्बन्ध में एल0पी0ए0 के कोषाध्यक्ष डा आनन्द अंजनी झा ने बताया कि जूरी सदस्यों के गंभ्भीर मंथन के बाद उपरोक्त विद्वानों को एलपीए की ओर से चयन किया गया।
अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का समापन सह धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विश्वविद्यालय के ग्रंथालयी डाॅ. बिभाष कुमार मिश्रा ने विस्तार से एक-एक अतिथियों को कार्यक्रम में शरीक होने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रजनी कान्त पाण्डेय ज, विश्वविद्यालय के कुलसचिव धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, नाईजीरिया के पुस्तकालय विज्ञान विशेषज्ञ इसीका चीका, हुसैनी मूसा, मुजफ्फरपुर बिहार के पुस्तकालयाध्यक्ष डा0 के0के0 चैधरी, डा0 गौरी कुमारी, पृथ्वीराज यदुवंशी सहित देश व दुनिया के सैकड़ों विशेषज्ञ शामिल हुए। विश्वविद्यालय के प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा, प्रो0 उमेश नाथ त्रिपाठी, प्रो. दिनेश यादव, प्रो. सुधीर श्रीवास्तव, डाॅ. उपेन्द्र नाथ त्रिपाठी, प्रो. मनीष कुमार मिश्रा, प्रो. कमलेश कुमार गुप्ता, प्रो. प्रत्युष दुबे, प्रो. राजेश कुमार सिंह, प्रो. विनीता पाठक, प्रो. उमा श्रीवास्तव, एसएन पाण्डेय, डाॅ. राकेश कुमार मिश्र, डाॅ. कुशल नाथ मिश्र, डाॅ. मनोज द्विवेदी, महेन्द्र नाथ सिंह, योगेन्द्र यादव, सीमा प्रयाग चाैधरी एवं ग्रंथालय के कर्मचारीगण तथा भारी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं।
(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
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