Haryana

सोमवती अमावस्या पर पिंडतारक तीर्थ पर हजारों ने किया पिंडदान

तीर्थ पर पूजा करते हुए श्रद्धालु।
पिंडारा तीर्थ पर पिंडदान करवाते हुए श्रद्धालु। 
पिंडारा तीर्थ पर स्नान करते हुए श्रद्धालु। 

पवित्र सरोवर में डुबकी लगाकर की मोक्ष की कामना

जींद, 2 सितंबर (Udaipur Kiran) । पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर सोमवार को साल की दूसरी सोमवती अमावस्या पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया और पिंडदान कर अपने पित्रों को तर्पण किया। शहर में श्रद्धालुओं की भीड़ की वजह गोहाना रोड पर पूरा दिन जाम की स्थिति बनी रही। यातायात व्यवस्थित करने में पुलिसकर्मियों को मशक्कत करनी पड़ी।

ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर रविवार को शाम से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। रविवार की पूरा रात धर्मशालाओं में सत्संग तथा कीर्तन आदि का आयोजन चलता रहा। सोमवार को तड़के श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान तथा पिंडदान शुरू कर दिया, जो मध्यान्ह के बाद तक चलता रहा। इस मौके पर दूरदराज से आएं श्रद्धालुओं ने अपने पितरोंं की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख समृद्धि की कामना की। गोहाना रोड पर पूरा दिन जाम की स्थिति बनी रही और यातायात व्यवस्था बनाए रखने में पुलिसकर्मियों को अच्छी खासी मशक्कत का सामना करना पड़ा।

गोहाना रोड पर जाम होने के कारण श्रद्धालु पैदल ही बस अड्डे की तरफ पहुंचने काे मजबूर हुए। पिंडारा तीर्थ पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिसबल तैनात किया गया था। सरोवर में नहाते हुए कोई अनहोनी घटना न हो, इसके लिए गोताखोर व किश्ती का विशेष प्रबंध किया गया था। पुलिसकर्मियों ने मेले में उमड़ी भीड़ को व्यवस्थित करने का काम किया। पिंडारा तीर्थ पर सोमवती अमवस्या पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने जमकर खरीददारी की। तीर्थ पर जगह-जगह लोगों ने सामान बेचने के लिए फड़े लगाई हुई थी। जिस पर बच्चों तथा महिलाओं ने खरीददारी की। बच्चों ने जहां अपने लिए खिलौने खरीदे तो वहीं बड़ों ने भी घर के लिए सामान खरीदे।

पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं।

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(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा

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