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मजदूर संघ का 70 वां स्थापना दिवस, भोपाल में भव्य समारोह में जुटेंगे हजारों श्रमिक नेता

भामसं के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिरण्यमय पांड्या, राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष नीता विवेक चौबे, राष्ट्रीय महामंत्री रवींद्र हेमते तथा मध्‍य प्रदेश अध्‍यक्ष संजय ।

भोपाल, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारतीय मजदूर संघ अपना 70वां स्‍थापना दिवस मना रहा है। मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इसके लिए देश भर से मजदूर नेता पहुंच रहे हैं। कार्यक्रम से पहले ठेंगड़ी भवन (भारत माता चौराहा) से लेकर रवीन्द्र भ(वन कार्यक्रम) स्‍थल तक एक भव्‍य शोभायात्रा निकाली जाएगी । जिसके बाद उद्‌घाटन कार्यक्रम में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, रा.स्व.संघ अ.भा. कार्यकारिणी के सदस्‍य वी. भागैया, म.प्र. के मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव, श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, भारतीय मजदूर संघ (भामसं) के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष, महामंत्री एवं अन्‍य पदाधिकारी मुख्य रूप से उपस्थित होकर अपराह्न साढ़े तीन बजे समारोह का उ‌द्घाटन करेंगे । इस अवसर पर म.प्र. के मुख्‍यमंत्री एवं श्र‍म मंत्री म.प्र. के श्रमिकों को लेकर कोई बड़ी घोषणा भी कर सकते हैं।

उल्‍लेखनीय है कि सरकारी कर्मचारियों सहित सभी श्रमिकों के लिए केंद्र और राज्‍य सरकारों से बोनस की मांग करने वाले पहले मजदूर संगठन के रूप में भारतीय मजदूर संघ की मजबूत पहचान देश भर में है। यह संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक माधव राव सदाशिव गोलवलकर की प्रेरणा से संघ के वरिष्ठ प्रचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी के प्रयासों से 23 जुलाई 1955 को भोपाल से ही अस्‍तित्‍व में आया था। बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जन्मतिथि पर भामसं की स्थापना की थी । उस समय देश में चार प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठन एटक, इंटक, एचएमएस और यूटीयूसी का दबदबा था। भामसं ने विश्कर्मा जयंती को राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाना शुरू किया था।

दत्तोपंत ठेंगड़ी के कुशल नेतृत्व में भामसं ने अपनी नीतियों और कार्यकर्ताओं के समर्पण के चलते तेजी से विस्तार किया। 1989 में भारत सरकार द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में भामसं देश का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन साबित हुआ। आज भी अपनी सदस्‍य संख्‍या के आधार पर यह दुनिया का भी सबसे बड़ा श्रमिक संगठन है। वर्तमान में यह संगठन देश के 32 राज्यों तथा 44 श्रम उद्योगों में काम कर रहा है। इस संगठन का सूत्र है – देश हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम, बीएमएस की क्या पहचान- त्याग, तपस्या और बलिदान। विदेशी आर्थिक आक्रमण का एकमात्र विकल्प स्वदेशी का अनुसरण के उद्देश्य से भामसं ने स्वदेशी जागरण का नारा दिया है।

भामसं विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) का विरोध तथा संगठित व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार से मांग करता रहा है। अब तक इस संगठन के कई बड़े नेताओं में दत्तोपंत ठेंगड़ी के अलावा रामनरेश सिंह, टीसी जुमड़े, डॉ. बीके राय, नरेशचंद्र गांगुली, पंडित रामप्रकाश मिश्रा, ओमप्रकाश अग्घी, विनय कुमार सिंह, ब्रजेश उपाध्याय, जयनारायण शर्मा जैसे मजदूर नेता हुए हैं, जिनकी योजनाओं और तैयार की गई श्रमिक, मजदूर हित पॉलिसी को देश में समय-समय पर रहीं केंद्र सरकारों को भी स्‍वीकार करना पड़ा है। अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की बैठक में भारत के श्रम संगठनों की ओर से बीएमएस ही प्रतिनिधित्व करता है। फिलहाल भामसं के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिरण्यमय पांड्या तथा राष्ट्रीय महामंत्री रवीन्द्र हेमते हैं। वहीं, केंद्रीय संगठन मंत्री बी सुरेंद्रन हैं।

भोपाल में रहे अपने इस बड़े आयोजन को लेकर भामसं के राष्ट्रीय महामंत्री रवीन्द्र हिमते ने हि.स. को बताया कि इस साल संगठन के कार्य को तेजी से और अधिक अच्‍छे से आगे बढ़ाने के लिए देश के सभी प्रांत एवं 40 महासंघों, 5778 यूनियनों के कार्यकर्ता ग्राम से लेकर महानगरों तक जागरुकता अभियान चलाएँगे। इसके अंतर्गत भारतीय मजदूर संघ श्रमिकों को पूरी तरह से सक्षम बनाने के लिए संगठन प्रयासों के अलावा शासन के स्‍तर पर होनेवाले कार्यों, योजनाओं के बारे में अधिकतम मजदूरों को बताएगा, ताकि वे अपने हित में आर्थ‍िक स्‍तर पर बेहतर निर्णय ले सकेंगे। उन्‍होंने बताया कि भारतीय मजदूर संघ पंच-परिवर्तन के विषय पर समाज में और श्रमिकों के बीच पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन, समरसता, नागरिक कर्तव्य एवं स्वदेशी के विषयों पर भी कार्य करेगा।

(Udaipur Kiran)

(Udaipur Kiran) / डॉ. मयंक चतुर्वेदी / जितेन्द्र तिवारी

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