गोरखपुर, 28 सितंबर (Udaipur Kiran) । दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में पुस्तक पौधे व गजलों का ऐसा अनूठा त्रिकोणीय सौंदर्य उतरा, की सभी उसके मुरीद हो गए। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष व प्रतिष्ठित गजलकार प्रो. वशिष्ठ अनूप पीएचडी उपाधि हेतु साक्षात्कार लेने के लिए हिंदी विभाग, गोरखपुर विश्वविद्यालय आए थे। साक्षात्कार संपन्न होने के उपरांत अध्यक्ष प्रोफेसर कमलेश गुप्त के निवेदन पर उन्होंने अपनी गजलें प्रस्तुत की। उनकी मनहर गजल प्रस्तुति में ‘हर समय जीतने का चढ़ा था नशा, अपने बच्चों से हारा तो अच्छा लगा’ इसके अतिरिक्त’बड़े दिख रहे हैं वे कंधों पे चढ़के, जो सचमुच बड़े हैं वे झुककर खड़े हैं’ आदि ने लोगों का विशेष ध्यान खींचा।
उन्होंने मां पर केंद्रित एक खूबसूरत गजल सुनाई जिसकी पंक्तियां हैं -‘वक्त ने राह रोकी कई बार पर, वह तो मां थी जो पहिया घूमाती रही’। उन्होंने अपनी गजलों से वातावरण को काफी कोमल और खूबसूरत बना दिया। इस दौरान विभाग के सभी सदस्य उपस्थित थे और सभी ने मुक्त कंठ से उनके गजलों की प्रशंसा की।
पूरे विभाग द्वारा पौधरोपण भी किया गया
हिंदी विभाग की एक अनूठी पहल है कि जो शोधार्थी सफलतापूर्वक अपने पीएचडी उपाधि हेतु साक्षात्कार को संपन्न कर लेता है तो वह स्वेच्छा से विभाग में एक पौधा लगाता है, जिसमें विभाग के सभी सदस्य सहयोग करते हैं। इसी के तहत आज हिंदी विभाग में शोधार्थी दीपशिखा एवं मीनाक्षी उपाध्याय के सौजन्य से पौधारोपण कार्यक्रम संपन्न हुआ।
पुस्तकालय व पर्यावरण के समृद्धि की अनूठी पहल
हिंदी विभाग अपने विभागीय पुस्तकालय को समृद्ध करने हेतु विविध तरह के प्रयत्न निरंतर करता रहता है। विभाग के पूर्व एवं वर्तमान शिक्षकों ने विभागीय पुस्तकालय को समृद्ध करने हेतु पूर्व में कई पुस्तकें प्रदान की हैं। इसी कड़ी में विभाग के शोधार्थी भी अपना शोध कार्य संपन्न होने के उपरांत विभागीय पुस्तकालय को समृद्ध करने हेतु अपनी इच्छा एवं रुचि के अनुसार पुस्तक प्रदान करते हैं। इस पहल व परंपरा के अंतर्गत आज विभागीय पुस्तकालय को शोधार्थी मीनाक्षी उपाध्याय तथा दीपशिखा ने तीन पुस्तक कबीर पर केंद्रित प्राप्त हुई। इस अवसर पर विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त एवं विभागीय पुस्तकालय समिति के सदस्य शिक्षकों एवं अन्य ने शोधार्थी को बधाई व शुभकामनाएं प्रदान की।
(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय