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भारत भूमि पर जन्म लेने वालों को भारत माता की जय बोलना ही चाहिएः स्वामी ज्ञानानंद

मातृशक्तियों ने ली देश को समर्थ संतान देने की शपथ

इंदौर, 20 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । वेदांत का मूल तत्व ज्ञान ही है। ज्ञान के अभाव में मनुष्य का आचरण पशुवत माना गया है। हमारी सनातन संस्कृति, धर्म और सदभाव की बुनियाद पर टिकी हुई है, लेकिन किसी को भी हमारी सौजन्यता का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। भारत की धरती पर जिन्होंने जन्म लिया है, उन्हें भारत माता की जय बोलना ही चाहिए। हमारा भारत भूमि में जन्म लेना भी तभी फलीभूत होगा, जब हम अपनी सनातन संस्कृति के अनुरूप आचरण करेंगे।

यह ओजस्वी विचार जगदगुरू शंकराचार्य, भानपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ के ने इंदौर के बिजासन रोड स्थित अविनाशी अखंड धाम आश्रम में चल रहे 57वें अभा अखंड वेदांत संत सम्मेलन में शुक्रवार को धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत भूमि की पहचान धर्म से है, धन से नहीं। विश्व में अब क्रांति का नेतृत्व भारत ही करेगा। आज पूरी दुनिया में वेदांत और भारतीय सनातन संस्कृति से जुड़े संतों की वाणी गूंज रही है। वेद -वेदांत और धर्म -संस्कृति हमारी जीवन शैली का अनिवार्य हिस्सा है।

सम्मेलन में आश्रम के महामंडलेश्वर डॉ.स्वामी चेतन स्वरूप, हंसदास मंठ के महामंडलेश्वर महंत रामचरणदास महाराज, पं. पवनदास महाराज, रतलाम के महामंडलेश्वर स्वामी देवस्वरूप, हरिद्वार के महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश्वरानंद, चौबारा जागीर के संत नारायणनानंद, साध्वी अर्चना दुबे, डाकोर के वेदांताचार्य स्वामी देवकीनंदनदास, हरिद्वार के महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती, सोनकच्छ से आए संत लवचंद्र दास, उज्जैन स्वामी वितरागानंद एवं संत राजानंद ने भी अपने औजस्वी विचार व्यक्त किए।

प्रारंभ में अतिथि संतों का स्वागत महामंडलेश्वर डॉ.स्वामी चेतन स्वरूप, अध्यक्ष हरि अग्रवाल, संयोजक किशोर गोयल, भावेश दवे, नवनीत शुक्ला, अशोक गोयल, सचिन सांखला, राजेन्द्र सोनी, ठा. विजयसिंह परिहार, हरिनारायण विजयवर्गीय, ओम कछवाहा, पलकेश कछवाहा, शंकरलाल वर्मा, राजेन्द्र सिंह जादौन, गोपाल लिखार, महेन्द्र विजयवर्गीय,परीक्षित पंवार, रणवीर दग्धी आदि ने किया। शंकराचार्यजी के आगमन पर नारायण अग्रवाल 420 पापड़वाले, रामबाबू अग्रवाल, मनीष अग्रवाल, सूरजसिंह राठौर, गीता विजयवर्गीय, राहुल शर्मा, मुरलीधऱ धामानी, डॉ. चेतन सेठिया, विपीन सांखला आदि ने पुष्प वर्षा कर उनकी अगवानी की। संचालन हरि अग्रवाल एवं संत नारायणनानंद ने किया।

मातृशक्तियों ने ली देश को समर्थ संतान देने की शपथ

अखंड धाम आश्रम पर चल रहे 57वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन में आज का दिन मातृशक्ति के नाम रहा। दो हजार से अधिक महिलाओं ने सम्मेलन में आकर अखंडानंद गीता वेद वेदांग गुरुकुलम एवं सनातन महिला संगठन और अथर्व महिला संगठन के तत्वावधान में संतों के सानिध्य में शपथ ली कि वे राष्ट्र की नव पौध और नव किलकारी को शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम, समर्थ और समृद्ध बनाने के लिए गर्भ संस्कार एवं ध्यान सत्र की मदद से अपने मातृत्व को सार्थक बनाएंगी। महिलाओं ने संकल्प किया कि वे सनातन धर्म की दृढ़ता और देश की भावी संतानों में संस्कारों का ऐसा बीजारोपण करेंगी कि देश एक बार फिर विश्व गुरू का अपना गौरवशाली अलंकरण पुनः हांसिल कर लेगा। सम्मेलन में जगदगुरू शंकराचार्य भानपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने भी देश की मातृशक्ति का वंदन करते हुए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा भी की।

(Udaipur Kiran) तोमर

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