ग्वालियर, 8 जनवरी (Udaipur Kiran) । जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है, वैसे-वैसे मेले के कश्मीरी बाजार की रौनक भी बढ़ती जाती है। श्रीमंत माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला में इस साल भी कश्मीरी सेक्टर का यही हाल है। जब से शीत लहर की वजह से ठंड बढ़ी है, तबसे मेला देखने आ रहे सैलानी कश्मीरी बाजार के आकर्षण से नहीं बच पा रहे हैं। जाहिर है अपनी सामर्थ्य के अनुसार ऊनी कपड़ों की खरीददारी कर कश्मीर की सुरम्य वादियों से आए दुकानदारों के चेहरे पर खुशियां बिखेर रहे हैं।
कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से आए जनाब गुलाम हसन और उनके बेटे मोहम्मद नसीम ने भी मेले के कश्मीरी बाजार में अपनी दुकान लगाई है। मोहम्मद नसीम बताते हैं कि ग्वालियर मेला से हमारे परिवार का एक आत्मीय रिश्ता सा बन गया है। हमारे वालिद लगभग 65 साल से ग्वालियर मेले में अपनी दुकान लगा रहे हैं। मैं भी 45 साल से यहाँ आ रहा हूँ। उनकी दुकान पर फर व लैदर से बने दस्ताने व कैप, लैदर की जैकेट, पसमीना शॉल व बूट सहित लैदर के अन्य गर्म कपड़े की एक से बढ़कर एक वैरायटी उपलब्ध है। मोहम्मद नसीम कहते हैं कि कुछ ऐसे भी खरीददार हैं जो वर्ष भर हमारा यहाँ इंतजार करते हैं।
इस साल के ग्वालियर मेले के कश्मीरी बाजार में लगभग 25 दुकानें लगी हैं। इन दुकानों में महिलाओं के लिये ऊनी गर्म सलवार-कुर्ते के कपड़े, पसमीना शॉल, स्वैटर, ब्लैजर सहित पुरुषों व बच्चों के लिये भी तमाम तरह के ऊनी कपड़े उपलब्ध हैं। साथ ही अखरोट, बादाम, मामरा बादाम, पिस्ता, केसर, अंजीर, चैरी, पहाड़ी लहसन इत्यादि सहित कश्मीरी मेवे की 40 तरह की वैरायटियां लेकर कश्मीरी व्यवसायी यहाँ आए हैं।
ग्वालियर मेले में इस साल हो रही आमदनी को लेकर जब मोहम्म्द नसीम से सवाल किया गया तो वे मुस्कुराए और बोले कि यहाँ अच्छी आमदनी तो होती ही है, उससे भी बढ़कर हमें यहां जो मोहब्बत मिलती है उसका कोई मोल नहीं है।
(Udaipur Kiran) तोमर