HEADLINES

यह बडे आश्चर्य की बात की वीआरएस आवेदन स्वीकार कर लिया, लेकिन परिलाभ देने से कर दिया इनकार-हाईकोर्ट

कोर्ट

जयपुर, 20 फरवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि यह बडे आश्चर्य की बात है कि ग्रामीण विकास विभाग ने ग्राम सेवक का वीआरएस आवेदन तो स्वीकार कर लिया, लेकिन उसे यह कहते हुए परिलाभ देने से इनकार कर दिया कि उसने तय पन्द्रह साल की सेवा पूरी नहीं की है। इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता के सेवाकाल की गणना कर उसे परिलाभ अदा करें। वहीं अदालत ने परिलाभ पर नौ फीसदी ब्याज भी अदा करने को कहा है। जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश रामनिवास याचिका की 12 साल पुरानी याचिका का निस्तारण करते हुए दिए।

याचिका में अधिवक्ता एमएस यादव ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अक्टूबर, 2007 को चिकित्सीय आधार पर 1 फरवरी, 2008 से वीआरएस लेने के लिए आवेदन किया था। आवेदन को बीडीओ, नीमराणा ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, अलवर को भेज दिया। वहीं मामला पंचायत समिति की साधारण सभा में रखा गया और वीआरएस आवेदन को स्वीकार कर लिया गया। इस पर याचिकाकर्ता ने प्रार्थना पत्र पेश कर उसे सेवानिवृत्ति परिलाभ देने को कहा। इस प्रार्थना पत्र को विभाग ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसने वीआरएस के लिए न्यूनतम पन्द्रह साल की सेवा नहीं की है। ऐसे में उसे परिलाभ नहीं दिया जा सकता। इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता यदि वीआरएस के लिए पात्र नहीं था तो विभाग को उसका आवेदन खारिज करना चाहिए था। वहीं यदि उसके वीआरएस आवेदन को स्वीकार किया गया है तो फिर सेवानिवृत्ति परिलाभ से इनकार नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ने स्वयं की चिकित्सीय आधार पर वीआरएस मांगा था। इसलिए उसे स्वीकार किया गया। वहीं सेवानिवृत्ति परिलाभ के लिए पन्द्रह साल की सेवा जरूरी होती है। याचिकाकर्ता की सेवा पन्द्रह साल की नहीं होने के कारण उसे परिलाभ नहीं दिए गए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को पेंशन परिलाभ ब्याज सहित अदा करने को कहा है।

—————

(Udaipur Kiran)

Most Popular

To Top