प्रयागराज, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । प्रेमचंद जयंती के अवसर पर आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी और आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में ’किताबें कुछ कहना चाहती हैं’ पुस्तकालय का उद्घाटन विभाग की अध्यक्ष प्रो.लालसा यादव ने किया। उन्होंने कहा कि किताबों से दोस्ती कराने का यह सराहनीय प्रयास है।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को साहित्य के अनेक विधाओं की नवीनतम पुस्तकों को उपलब्ध कराना प्रो.भदौरिया की अनूठी और सराहनीय पहल है। जिसका स्वागत होना चाहिए। विभाग के डॉ. सूर्यनारायण और डॉ.अमृता ने विद्यार्थियों के लिए इस व्यक्तिगत पुस्तकालय को कुछ और पुस्तकें उपलब्ध कराने की बात कही।
हिन्दी विभाग के शोधार्थियों और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों हेतु यह पुस्तकालय प्रो.संतोष भदौरिया के व्यक्तिगत प्रयास से शुरू किया गया है। जिसके लिए उन्होंने अपने व्यक्तिगत पुस्तकालय से सैकड़ों नवीनतम पुस्तकों को निःशुल्क पढ़ने हेतु विद्यार्थियों को उपलब्ध कराने की योजना को आज प्रेमचंद जयंती पर मूर्तरूप दिया है। आज के बाद प्रतिदिन विद्यार्थी अपने पाठ्यक्रम से इतर रचनात्मक पुस्तकें यथा उपन्यास, कहानी संग्रह, जीवनी, संस्मरण, यात्रा वृतांत, आत्मकथा जैसी पुस्तकें प्राप्त कर सकेंगे। जिसे पढ़कर निर्धारित अवधि में लौटाकर दूसरी पुस्तक प्राप्त करनी होगी। ये पुस्तकें बिना किसी सदस्यता शुल्क के प्राप्त होगी। इसके पीछे यही उद्देश्य है कि आर्थिक तौर पर पिछड़ी पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण नवीनतम पुस्तकें उपलब्ध हों। जिससे पुस्तक संस्कृति का विस्तार हो और मनुष्यता को बचाए रखने में मदद मिले।
फिलहाल, इस पुस्तकालय में संवाद प्रकाशन की लगभग 50 पुस्तकें जैसे चार्ली चैपलिन की जीवनी, काफ्का के संस्मरण, आत्मकथा सहित ज्ञान विज्ञान की तमाम पुस्तकों के अलावा अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशकों की 200 पुस्तकें शामिल हैं। ममता कालिया की जीते जी इलाहाबाद, स्वयं प्रकाश का ईंधन उपन्यास, प्रेमचंद से दोस्ती, प्रेमचंद के फटे जूते, भगत सिंह से दोस्ती जैसी सैकड़ों पुस्तकें विद्यार्थियों को उपलब्ध रहेंगी।
’किताबें कुछ कहना चाहती हैं’ नाम से उद्घाटित व्यक्तिगत पुस्कालय के अवसर पर एक कविता पोस्टर और निःशुल्क सदस्यता फार्म भी जारी किया गया। इस पुस्तकालय के सुचारू संचालन के लिए प्रो.संतोष भदौरिया ने सभी का सहयोग मांगा और आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रो.योगेंद्र प्रताप सिंह, प्रो.भूरेलाल, डॉ.सूर्यनारायण, प्रो.कुमार वीरेंद्र, डॉ.अमृता, डॉ.सुरभि त्रिपाठी, डॉ.दीनानाथ मौर्य सहित तमाम शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र / बृजनंदन यादव