सहरसा, 14 सितम्बर (Udaipur Kiran) ।
नालसा के निर्देश पर इस वर्ष के तीसरे लोक अदालत का आयोजन शनिवार को व्यवहार न्यायालय में किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन जिला एवं सत्र न्यायाधीश गोपाल जी, अपर समाहर्ता ज्योति कुमार एवं अपर सत्र न्यायाधीश ने संयुक्त रूप से किया।
लोक अदालत के अवसर पर जिला पदाधिकारी एवं आरक्षी अधीक्षक के अनुपस्थिति और पूर्व में भी उनके अनुपस्थित रहने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने गहरी नाराजगी प्रकट की। जिला एवं सत्र न्यायाधीश गोपाल जी ने इस मौके पर कहा कि लोक अदालत के माध्यम से समय और धन की बचत होती है। विपक्षी में कटुता भी नहीं बढ़ती है। लोक अदालत खुशियां बढ़ाती है। इसमें न किसी की हार होती है ना किसी की जीत होती है। उन्होंने कहा कि लोक अदालत पहले के चौपाल की तरह है, जहां फैसले होते थे। समय परिवर्तित हो गया है इसलिए अब आपसी समाधान हो तो न्यायालय का आदेश जरूरी होता है। इसलिए किसी समझौते पर लोक अदालत मुहर लगती है।
उन्होंने रामायण के एक दृष्टांत को सुनाते हुए कहा कि कल राज्याभिषेक करना था लेकिन सुबह वनवास मिला । इसलिए लोगों को समय नहीं गंवाना नहीं चाहिए। अपर समाहर्ता ज्योति कुमार ने कहा कि उनके अवकाश ग्रहण का समय आ गया है। लेकिन उन्होंने लोक अदालत के महत्व को समझा और लोक अदालत के कई आदेश मिलने पर उन्होंने मामले का निपटारा किया। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अभिमन्यु कुमार ने कहा कि कुल 12 बैच गठित किया गया है । जिसमें विभिन्न मामलों का निपटारा किया जाएगा और इसमें सभी लोगों का सहयोग अपेक्षित है। मोटर दुर्घटना अधिनियम के एक मामले में पीड़िता मंजुला देवी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश के द्वारा चेक प्रदान किया गया। कार्यक्रम में जिला विधिवेत्ता संघ के सचिव कृष्ण मुरारी प्रसाद, अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय संतोष कुमार, अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय सुवीर कुमार के अलावे न्यायिक अधिकारी एवं अधिवक्तागण मौजूद थे। विभिन्न बैंकों द्वारा अलग-अलग स्टॉल लगाए गये। जिसमें विभिन्न मामलों का निष्पादन किया गया।
(Udaipur Kiran) / अजय कुमार