
रांची, 25 अप्रैल (Udaipur Kiran) । झारखंड के मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस्तीफा मांगने वाले बयान पर कहा है कि वे अपनी बातों पर अब भी कायम हैं। उन्होंने कहा है कि उनकी जुबान नहीं फिसली है जबकि उन्होंने सोच समझकर ही अपनी बात रखी है।
उल्लेखनीय है कि मंत्री ने लोहरदगा में पत्रकारों के समक्ष पहलगाम हमले पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने की बात कही थी। मंत्री ने शुक्रवार को रांची में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि वे अपने स्टैंड पर अब भी कायम हैं। मंत्री ने कहा कि जब जिम्मेदार व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी लेना छोड़ दे तो गैर-जिम्मेदार लोगों को ही किसी घटना की जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी और इसी संदर्भ में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम लिया था।
मंत्री ने कहा कि 1956 में रेल दुर्घटना होने पर तत्कालीन रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 1999 में रेलमंत्री के रूप में नीतीश कुमार भी इस्तीफा दे दिया था। 2008 में मुंबई ब्लास्ट के बाद तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में आज जब पहलगाम में कोई आतंकी 300 किलोमीटर चलकर आता है और घटना को अंजाम देता है तो आखिर जिम्मेदारी और जवाबदेही किसकी बनती है।
मंत्री ने कहा कि यह सवाल पत्रकार बिरादरी की ओर से उठाना चाहिए था लेकिन जब पत्रकारों ने अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया। इस पर उन्होंने सवाल उठाया कि केंद्रशासित प्रदेश होने के नाते पहलगाम की जिम्मेदारी किसकी बनती है।
मंत्री ने कहा कि उनके गत गुरुवार दिये बयान पर कई तरह की बातें की जा रही हैं। हमारे ज्ञान पर सवाल उठाए जा रहे हैं लेकिन मूल बातें कोई नहीं कर रहा है। मंत्री ने कहा कि पुलवामा की घटना में आरडीएक्स पहुंचाने वाले में एक डीएसपी का नाम आया था, उसका क्या हुआ?
पठानकोट एयरबेस पर हमला हुआ, तब भी किसी की जवाबदेही तय नहीं हुई। जब बड़ी त्रासदी और आतंकी हमलों पर भी कोई जवाबदेही जिम्मेदार लोग न लें तो मैंने कहा कि जो घटना के जिम्मेवार नहीं है, उन्हें जवाबदेही लेनी चाहिए। इसलिए हमने हिमाचल के मुख्यमंत्री का नाम लिया। मंत्री ने साफ किया कि वह भगवंत मान, ममता बनर्जी या हेमंत सोरेन किसी का भी नाम ले सकते थे।
मंत्री ने कहा कि सवाल यह भी है कि पहलगाम की ह्रदय विदारक घटना से पूरा देश शोकाकुल है। लेकिन देश में राष्ट्रीय शोक की घोषणा क्यों नहीं हुई?
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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे
