चंडीगढ़, 7 नवंबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा विधानसभा के तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र के दौरान इस बार प्रश्नकाल नहीं होगा। शून्यकाल के संबंध में भी फैसला विधानसभा की बिजनेस सलाहकार समिति की बैठक में लिया जाएगा। अगर शून्यकाल का आयोजन किया जाता है तो विधायक अपनी-अपनी समस्याएं तो बता सकेंगे लेकिन मंत्री इसका जवाब देने के लिए बाध्य नहीं होंगे। विधानसभा की कार्यवाही का स्वरूप बदलने के पीछे विधानसभा नियमावली आड़े आ गई है।
विधानसभा में विधायकों के शपथ ग्रहण तथा स्पीकर व डिप्टी स्पीकर के चुनाव के लिए 25 अक्टूबर को एक दिवसीय शपथ ग्रहण सत्र का आयोजन किया गया था। इस दिन स्पीकर ने कार्यवाही समाप्त करते समय अनिश्चिकाल के लिए स्थगित करने की बजाए केवल कार्यवाही को स्थगित किया था। अब 13 नवंबर से शुरू होने वाला सत्र 25 अक्टूबर वाले सत्र की निरंतरता में ही माना जा रहा है।
विधानसभा कार्य-प्रक्रिया संचालन नियमावली के अनुसार सदन में प्रश्नकाल में शामिल होने वाला कोई भी विधायक सत्र की शुरूआत से 15 दिन पहले तक विधानसभा सचिवालय को अपने प्रश्न भेज सकता है। जिसको सदन की कार्यवाही में शामिल किया जाता है। अब यहां तकनीकी विवाद यह है कि नई सरकार ने 17 अक्टूबर को शपथ ग्रहण किया था। सदन में 10 अक्टूबर तक आए सवालों को ही कार्यवाही का हिस्सा बनाया जा सकता है। लेकिन उस समय सरकार का गठन नहीं हुआ था। ऐसे में इस सत्र के दौरान अन्य सभी विधायी कार्य होंगे लेकिन नए चुनकर आए विधायकों को प्रश्न पूछने का अवसर नहीं मिलेगा। विधानसभा के दौरान शून्यकाल चलाए जाने को लेकर बिजनेस सलाहकार समिति की बैठक में निर्णय लिया जाएगा। इसके अलावा स्पीकर भी अपने अधिकार के तहत शून्य काल चला सकते हैं। इसमें विधायक केवल अपनी समस्याएं बता सकते हैं, जिनका संबंधित विभागों के माध्यम से जवाब दिया जाएगा।
हरियाणा विधानसभा में सत्र की शुरूआत से पहले अभी तक अलग-अलग मुद्दों को लेकर पांच ध्यानाकर्षण प्रस्ताव आ चुके हैं। इन प्रस्तावों को सदन की कार्यवाही में शामिल करने को लेकर कानूनी विशेषज्ञों से राय की जा रही है। इसे लेकर भी मंथन चल रहा है। इस संबंध में भी फैसला बीएसी की बैठक में लिया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) शर्मा