
रामगढ़, 9 जून (Udaipur Kiran) । भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा से पहले रामगढ़ के कैथा जगन्नाथ मंदिर में देव स्नान की प्रक्रिया भी संपन्न कराई जाएगी। 10 जून को भगवान जगन्नाथ का देव स्नान अनुष्ठान पूर्णिमा तिथि पर किया जाएगा। जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके ज्येष्ठ भ्राता बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के लिए देवस्नान पूर्णिमा का पवित्र अनुष्ठान संपन्न होगा। यह विधि आगामी भव्य रथयात्रा से पूर्व का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पारंपरिक आयोजन है। इसके बाद भगवान 15 दिनों के लिए अज्ञातवास (अनवसर) में चले जाएंगे। मंदिर के मुख्य पुजारी डॉक्टर बीएन चटर्जी ने बताया कि देवस्नान पूर्णिमा एक पवित्र स्नान और अज्ञातवास का आरंभ देवस्नान पूर्णिमा वह शुभ दिन है जब भगवान को उनके गर्भगृह से बाहर लाकर स्नान मंडप पर विराजमान किया जाता है।
पूरी की परंपरा का अनुसरण कर रहे पुजारी
कैथा मंदिर में भी पूरी की परंपरा का अनुसरण करते हुए, भगवान को विधिवत 108 घड़ों के सुगंधित और औषधीय जल से स्नान कराया जाएगा। उन्हें आगामी यात्रा के लिए तैयार करने का प्रतीक है। इस भव्य स्नान के बाद, यह मान्यता है कि अत्यधिक स्नान के कारण भगवान अस्वस्थ हो जाते हैं। इस स्थिति को ज्वर (बुखार) या अस्वस्थता के रूप में देखा जाता है। भगवान को भक्तों के दर्शन से दूर, एकांतवास में रखा जाता है। इस 15 दिवसीय अवधि को अनवसर या अज्ञातवास कहा जाता है। इस दौरान, भगवान को विशेष रूप से उपचारित किया जाता है। उन्हें मंदिर के राजवैद्य द्वारा तैयार किए गए आयुर्वेदिक काढ़े और औषधियों का सेवन कराया जाता है।
अज्ञातवास में ईश्वर ऊर्जा को करते हैं पुनर संचित
पुजारी के अनुसार अज्ञातवास वास्तव में भगवान की ऊर्जा को पुनः संचित करने और उन्हें आगामी रथ यात्रा के लिए तैयार करने का एक आध्यात्मिक चरण है। जब वे लाखों भक्तों को दर्शन देने के लिए अपने निवास से बाहर निकलते हैं। सेवा समिति के अध्यक्ष हंसपाल महतो (सुदर्शन महतो) ने कहा कि स्नान के उपरांत, भगवान गजवेष (हाथी का रूप) में भक्तों को दर्शन देंगे, जो एक अत्यंत दुर्लभ और आकर्षक रूप है। इसके दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालू कैथा मंदिर पहुंचते हैं। 10 जून को देवस्नान पूर्णिमा और गजवेष दर्शन के बाद, भगवान 11 जून से 25 जून तक अनवसर (अज्ञातवास) में रहेंगे।
इस अवधि में मंदिर के पट भक्तों के लिए बंद नहीं होते, लेकिन गर्भगृह में भगवान के दर्शन नहीं होते। अनवसर की समाप्ति पर, 25 जून को नेत्रोत्सव का अनुष्ठान होगा, जिसमें भगवान की नई आँखें बनाई जाती हैं। वे पूर्ण स्वस्थ होकर पुनः भक्तों को दर्शन देने के लिए तैयार होते हैं।
—————
(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश
