धमतरी। , 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । धनतेरस पर बाजार में जमकर रुपया बरसा। सराफा, कपड़ा, आटो मोबाइल, बर्तन दुकानों में देर शाम तक खरीदी होती रही। सराफा व्यवसाय में लगभग 15 करोड़ के से अधिक बिजनेस का अनुमान है। शाम को घर, दुकान के सामने 13 दीये जलाकर धन के देवता कुबेर से सुख समृध्दि की कामना की गई। बच्चों ने पटाखे फोड़कर खुशियां मनाई।
पौराणिक मान्यता के चलते धनतेरस के दिन सोने-चांदी, पीतल, तांबा खरीदने से आयु तथा धान बढ़ता है। धनतेरस के दिन चांदी के सिक्के, पीतल, कांसे के बर्तन, वाहन खरीदने की इसी मान्यता के चलते लोगों ने खूब खरीददारी की। सराफा व्यवसायियों के अनुसार जिन लोगों ने पहले ही आभूषणों की बुकिंग करा रखी थी, वे शुभ समय पर आभूषण ले गए। शास्त्रों की मान्यता के चलते इस बार भी स्कूली छात्रों से लेकर बड़ों ने मां लक्ष्मी के चित्र वाले सिक्कों की खरीददारी की। बच्चों ने पांच ग्राम के सिक्कों की खरीददारी की। नेकलेस, सोने के कंगन, मंगलसूत्र, सोने की अंगूठी, सोने व चांदी के सिक्के खूब बिके। इसका असर व्यवसाय पर पड़ा है। सूपा-टोकरी की पूछ परख गोवर्धन पूजा की तैयारी के लिए लोग सूपा-टोकरी, तेंदू की लाठी, शकरकंद, कोचई, कुम्हड़ा, मोरपंख व अन्य त्यौहारी सामान खरीदने व्यस्त दिखे। ग्रामीण क्षेत्रों से खरीददारी करने पहुंचे लोगों की भीड़ सूपा, टोकरी बेचने वालों के पास ज्यादा दिखी। सोनूराम कंडरा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में परंपरा के अनुसार गायों को खिचड़ी खिलाई जाती है। मान्यता अनुसार नया सूपा व टोकरी में खिचड़ी बनाकर गायों को खिलाते हैं। इस खिचड़ी में शकरकंद, कोचई और कुम्हड़ा का खास महत्व है। इसी के चलते इन सामानों की कीमतें तीन दिनों के भीतर बढ़ गई है। गोवर्धन पूजन तक इनकी कीमतें और बढ़ने की संभावना है। ग्वालिन घर आंगन को जगमग रोशनी से सजाने इन लोगों ने दीयों की खूब खरीदारी की कुम्हारपारा में तो बहुत पहले से इसकी काफी बिक्री हो चुकी थी पर्व की खुशियां एक-दूसरे से बांटने लोग मिठाई खरीदते हैं। बाजार में अंजीर बर्फी, काजू कतली के साथ गुलाब जामुन की मांग ज्यादा रही। पुष्य नक्षत्र के बाद धनतेरस में अच्छी बिक्री हुई। पीतल, कांसा तथा तांबा के पात्र खूब बिके। एक अनुमान के मुताबिक धनतेरस में बर्तनों में। लगभग 30 लाख तक का व्यवसाय हुआ। इसी तरह आटो मोबाइल में भी लगभग एक करोड़ से अधिक का बिजनेस हुआ। फूल-मालाएं, सिल्लयारी-सेमरी खरीदने भीड़ रही।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा