धर्मशाला, 11 दिसंबर (Udaipur Kiran) ।
राज्यसभा सांसद सुश्री इंदु गोस्वामी ने भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा 1076 संरक्षित प्राचीन मंदिरों के संरक्षण और रखरखाव के लिए सांसद निधि से धनराशि जारी करने के लिए नियमों में संशोधन करने की मांग की है। बुधवार को संसद में विशेष उल्लेख के अधीन बोलते हुए उन्होंने बताया कि इस समय सांसद निधि से मंदिरों के लिए राशि जारी नहीं की जा सकती।
इंदु गोस्वामी ने कहा कि सांसद निधि के नियम के तहत धार्मिक आस्था से सम्बंधित भूमि पर सांसद निधि का प्रयोग करने का प्रावधान नहीं हैI लेकिन सांसद निधि नियम के तहत विरासत और पुरातात्विक स्मारकों और इमारतों के संरक्षण और बचाव की अनुमति है। उन्होंने बताया कि पूरे देश में 3,679 एएसआई साइट्स हैं जिनमें से 1,076 मंदिरों को भारतीय पुरातत्व विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संरक्षित किया गया है।
राज्यसभा सांसद ने कहा कि महान विरासत संजोयें, हजारों साल की गाथा वाला हिंदुस्तान आज पूरी दुनिया में योग, दर्शन, आध्यात्म और संस्कृति का सन्देश उजागर कर रहा है। नई पीढ़ी में भी अब अपनी जड़ों से जुड़ने की नई जागरूकता आई है। संस्कृति और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में देश ना केवल आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है बल्कि प्राचीन गौरव को भी जीवंत करने पर विशेष बल दे रहा है।
उपरोक्त विषय पर सांसद ने सम्बंधित मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से अनुरोध किया कि सांसद निधि के नियम में संशोधन कर सांसद निधि के तहत भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित मंदिरों में अनुशंसा करने की अनुमति दी जाए।
साथ ही उन्होंने बताया कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश में भी नागर शैली से बने कई मंदिर हैं, जो पुरातत्व विभाग के अधीन हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे ही ऐतिहासिक शिव मंदिर उनके गृह क्षेत्र बैजनाथ में भी है जो नागर शैली से बना है और पूरे विश्व भर से शिव भक्तों की आस्था का केंद्र भी है। पूरे साल भर लाखों श्रद्धालु वहां आकर शीश नवाते हैं और अगर इस नियम में संशोधन होता है तो सांसदों को भी मंदिरों के संरक्षण एवं रख-रखाव में सांसद निधि से निधि देने की अनुमति मिल जाएगी।
(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया