

गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय में मनाया गया राष्ट्रीय विज्ञान दिवसकुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की कार्यक्रम अध्यक्षताहिसार, 28 फरवरी (Udaipur Kiran) । तकनीकी शिक्षा निदेशालय हरियाणा के महानिदेशक प्रभजोत सिंह ने कहा है कि भारत में वैज्ञानिक दिमागों की कमी नहीं है। जरूरत है विज्ञान को समझने और सही दिशा में कार्य करने की। विज्ञान एक बहुत ही रूचिकर विषय है, इसे अपने जीवन में अपनाएं। महानिदेशक प्रभजोत सिंह शुक्रवार को गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर ‘एंपावरिंग इंडियन यूथ फॉर ग्लोबल लीडरशिप इन साइंस एंड इनोवेशन फॉर विकसित भारत’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। हरियाणा राज्य विज्ञान, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी परिषद पंचकूला द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की जबकि कुलसचिव डा. विजय कुमार विशिष्ट अतिथि रहे। प्रभजोत सिंह ने कहा कि कोई भी वैज्ञानिक खोज किसी एक दिन का परिणाम नहीं होती, बल्कि वैज्ञानिकों की अथक मेहनत और समर्पण का परिणाम होती है। ऐसे में हमें वैज्ञानिकों की जिंदगी के बारे में भी अवश्य जानना चाहिए। उन्होंने सर सीवी रमन और मैरीक्यूरी जैसे महान वैज्ञानिकों का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने अपने जीवन के कई सुनहरे वर्ष अपने शोधों को समर्पित किए। उन शोधों से आज दशकों और शताब्दियों के बाद भी हम अपने जीवन को सुगम व सरल बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि 10 मार्च को गुजविप्रौवि में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू दीक्षांत समारोह में आ रही हैं। यह केवल विश्वविद्यालय के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे प्रदेश के लिए गौरव की बात है। इस आयोजन में हरियाणा सरकार विश्वविद्यालय के साथ है।कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं का विषय ही नहीं है, बल्कि यह जीवन का एक अभिन्न पहलु है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का विकास तभी सार्थक है, जब हम प्रकृति के साथ सामंजस्य बना कर चलें। प्रगति यदि प्रकृति का संतुलन बिगाड़ देगी तो मानव के लिए विनाश ही उत्पन्न करेगी। गुजविप्रौवि गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के सिद्धांतों पर चलते हुए सतत विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करती है। इसी का परिणाम है कि विश्वविद्यालय की स्थापना के समय जिस परिसर में केवल 18 पेड़ थे आज वहां 55 हजार पेड़ हैं। कुलसचिव डा. विजय कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान भारत के ऋषियों-मुनियों की प्राचीन परंपरा है। हमारी भाषा और ग्रंथ भी वैज्ञानिक हैं। उन्होंने ऋग्वेद, उपनिषध तथा अन्य प्राचीन परंपराओं का उदाहरण देते हुए बताया कि दुनिया ने बहुत सी तकनीक हमसे सीखी और खुद पेटेंट करवा लिया।सीएसआईआर के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डा. विपिन कुमार गुप्ता व इंटर यूनिवर्सिटी एक्सीलरेटर सेंटर नई दिल्ली के साइंटिस्ट-जी डा. फोरन सिंह ने कार्यक्रम के विषय से संबंधित विशेषज्ञ व्याख्यान दिए।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
