कोलकाता, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । लॉटरी घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पाया है कि इस घोटाले में पश्चिम बंगाल पर खास जोर दिया गया।
ईडी के अधिकारी के अनुसार, हाल ही में छह राज्यों में हुई छापेमारी में सबसे ज्यादा नकदी कोलकाता से बरामद हुई। ईडी ने छापेमारी के दौरान 12.41 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की। इनमें से तीन करोड़ रुपये दक्षिण कोलकाता में एक डीलर के आवास और कार्यालय से मिले।
जांचकर्ताओं ने पाया कि यह घोटाला पश्चिम बंगाल में काफी सक्रिय था। बिना प्रभावशाली समर्थन के ऐसा संभव नहीं था।
ईडी ने यह भी पाया कि बड़ी लॉटरी पुरस्कार राशि वाले विजेता ज्यादातर पश्चिम बंगाल से ही थे। नकद भुगतान के जरिए बड़ी लॉटरी टिकटें खरीदी जाती थीं, जिससे “अनअकाउंटेड मनी” को “अकाउंटेड मनी” में बदला जाता था।
2015 में आयकर विभाग की छापेमारी के बाद इस घोटाले पर रोक लगी थी। लेकिन, दो साल के भीतर यह कारोबार फिर से तेजी से बढ़ा। जांच में यह भी सामने आया कि एक ही परिवार के कई सदस्य, जैसे पति और पत्नी, थोड़े अंतराल में ही लॉटरी के बड़े विजेता बन गए।
कंपनी छह रुपये के लॉटरी टिकट बेचती थी, जिसमें अधिकतर पुरस्कार 10 हजार रुपये से कम के थे। ऐसे पुरस्कार कर-मुक्त होते हैं। कंपनी ने विजेताओं और टिकटों का सही रिकॉर्ड नहीं रखा। योजना इस तरह बनाई गई थी कि ज्यादातर मुनाफा कंपनी को मिले और राज्य को कम राजस्व मिले।
विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया है कि इस घोटाले में ग्रामीण गरीबों के पैसे लूटे गए। उन्होंने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस के कई बड़े नेता इस घोटाले के लाभार्थी थे। ईडी मामले की गहराई से जांच कर रही है और जल्द ही और खुलासे होने की उम्मीद है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर