छतरपुर, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) । इस साल की तीसरी नेशनल लोक अदालत जिला न्यायालय परिसर में कल 14 सितम्बर शनिवार को आयोजित की जा रही है। नेशनल लोक अदालत को लेकर जिले भर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। नेशनल लोक अदालत को लेकर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रविन्दर सिंह ने मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए कहा कि लोक अदालत में मामलों का स्थाई समाधान होता है और इसकी कोई अपील भी नहीं होती। लोक अदालत में दोनों पक्ष आपसी सहमति से अपने खुद के मामले निपटाते हैं जिससे आपसी वेमनुष्यता समाप्त होती है। लोक अदालत के निर्णय में कोई पक्ष न हारता है न जीतता है। जबकि न्यायालय के फैसले थोपे हुए होते हैं। उन्होंने कहा कि लोक अदालत में जिन मामलों का निराकरण होता है उन मामलों में जमा की गई कोर्ट फीस भी पक्षकारों को वापिस कर दी जाती है। मीडिया प्रतिनिधियों को दी गई जानकारी में उन्होंने बताया कि वर्तमान में 14 हजार 553 मामले पेंडिंग है। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अनिल चौधरी विशेष रूप से उपस्थित थे।
27 खण्ड पीठों में रखे जाएंगे 2860 मामले
शनिवार 14 सितम्बर को न्यायालय परिसर में आयेाजित होने जा रही नेशनल लोक अदालत में कुल 2860 मामलों को रखा जा रहा है इन मामलों के निराकरण के लिए 27 खण्ड पीठों का गठन किया गया है। जो मामले लोक अदालत में रखे जा रहे हैं वे सभी समझौता योग्य है जिसमें क्रमिनल और राजस्व के साथ ही लिखित अधिनियम के मामले है। कुछ लेवर एक्ट से संबंधित मामले है तो वहीं कुछ बीमा कंपनियोंए बैंक और विद्युत विभाग से जुड़े मामले हैं। इन मामलों के निराकरण के लिए विभिन्न विभागों द्वारा लगभग 1000 पक्षकारों को नोटिस जारी किए गए हैं इसके लिए एडव्होकेटेशन के साथ ही 49 मीटिंगें भी आयोजित की गई और जिला न्यायालय द्वारा विभिन्न संचार माध्यमों से प्रचार.प्रसार भी कराया जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि लगभग 261 मामले इस नेशनल लोक अदालत में सेटिल हो जाएंगे।
15 केसों में पुर्नमिलन की संभावना
नेशनल लोक अदालत में पति.पत्नी के पारिवारिक मामले भी रखे जा रहे हैं। जिनमें से लगभग 15 मामलों में पुर्नमिलन हो जाने की संभावना जताई जा रही है। कुटुम्ब न्यायालय के न्यायाधीश एसके श्रीवास्तव ने बताया कि इस समय कुटुम्ब न्यायालय में मेट्रोमोनियल के करीब 1200 मामले पेन्डिंग है जिनमेें से कई मामलों को लोक अदालत में रखा जा रहा है और संभावना जताई जा रही है कि करीब 15 मामलों में पुर्नमिलन हो सकता है और पति.पत्नी मिलकर फिर अपना सुखद वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
(Udaipur Kiran) / सौरव भटनागर