चंदेरी, 23 जनवरी (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश राज्य शासन द्वारा भूमि ,भवन एवं प्लाटों की संपत्ति की केवाईसी करने का जो अभियान मध्य प्रदेश में चल रहा है, उसके तहत अशोकनगर जिले में भी राजस्व अधिकारी कर्मचारी इस अभियान में लगे हुए हैं। राज्य शासन के द्वारा जमीनों की केवाईसी कराए जाने का यह अभियान जमीनों के वास्तविक मालिकाना हक के लिए सही प्रक्रिया है परंतु इसमें भी कई प्रकार के गड़बड़झाले सामने आ रहे हैं। चंदेरी तहसील में भी जमीनों की केवाईसी में की जा रही गड़बड़ियों की जानकारी प्राप्त हो रही है समय रहते यदि राजस्व विभाग के अधिकारी एवं पटवारी इस पर ध्यान नहीं देंगे तो आगे चलकर कई सारे विवाद कानूनी रूप से उत्पन्न होंगे और आम जनमानस को इसका खामियाजा भुगत कर अनावश्यक न्यायालयीन प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा ।
क्या है केवाईसी में गड़बड़ झाला
जिन लोगों के द्वारा पूर्व में विक्रय पत्र संपादित कर विधिवत रजिस्ट्री क्रेता को कर पूरी तरह अपना मालिकाना हक क्रेता को सौंप दिया गया है परंतु किसी कारण वशराजस्व रिकॉर्ड में नामांतरण, दाखिल खारिज न हो पाने के कारण राजस्व रिकॉर्ड या खसरा में विक्रेता का नाम आज भी यथावत है और विक्रेता या तो जानबूझकर या अभिज्ञता में अपनी बेची हुई संपत्ति पर केवाईसी संपन्न कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में आगामी भविष्य में क्रेटा एवं विक्रेता दोनों को बेईमानी के चलते न्यायालयीन प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा।
चंदेरी तहसील में भी इस प्रकार के मामले संज्ञान में आए है, जिसमें कुछ वर्ष पूर्व जिन विक्रेताओं ने विक्रय पत्र संपादित कर विधिवत अपना मलिकाना हक त्यागा था, उनके द्वारा उस बेची गई भूमि की ऑनलाइन केवाईसी करा ली गई है, जो की वैधानिक रूप से गलत करवाई है ।
राजस्व अधिकारियों के द्वारा जमीनों की केवाईसी करने में जो जल्दबाजी की जा रही है तथा सिर्फ खसरे में नाम होने के आधार पर संबंधित को फोन लगाकर आधार कार्ड , मोबाइल नंबर लेकर जो केवाईसी की जा रही है उसमें यह ध्यान नहीं रखा जा रहा है की भूमि भवन एवं प्लॉट की पूर्व में रजिस्ट्री हो चुकी है या फिर नहीं साथ ही उक्त मामले की नामांतरण प्रक्रिया की कार्रवाई संपन्न की जा चुकी है या फिर नहीं।
जिन विक्रेताओं के द्वारा भूमि भवन एवं प्लॉट का विधिवत मालिकाना हक भी त्याग कर दिया गया हो वे लोग भी शासकीय रिकॉर्ड खसरे में नाम होने के कारण केवाईसी ऑनलाइन या पटवारी के माध्यम से कराकर जानबूझकर या अनभिज्ञता में धोखाधड़ी कर रहे हैं जो आगे चलकर कानूनी पेचीदगियों का सबक बनेगी।
खसरे के आधार पर केवाईसी कराए जाने के भविष्य गामी खतरे*
वर्तमान में जो खसरों के आधार पर केवाईसी कराई जा रही है उनसे यह खतरा आसन्न रूप से उत्पन्न हो गया है कि यदि ऑनलाइन केवाईसी के आधार पूर्व रिकॉर्ड चेक किए बिना केवाईसी भूमि धारक ने जमीन का विक्रय कर दिया है जिसे वह पूर्व में बेच चुका हो और किन्हीं कारणवश क्रेता द्वारा नामांतरण, रिकॉर्ड में अमल दाखिल खारिज आदि अन्य प्रक्रियाएं संपन्न ना हो पाई हो तो ऐसी स्थिति में विधिक और आपराधिक प्रकरणों में तेजी आने की विशाल संभावनाएं प्रतीत हो रही हैं।
इस खतरे को देखते हुए राजस्व अधिकारी एवं कर्मचारियों को अब तक रिकॉर्ड अनुसार संपन्न कराई गई केवाईसी की विधिवत समीक्षा की जाना चाहिए और ध्यान रखना होगा कि विक्रय पत्र संपादित करवाने वाले फर्जी केवाईसी तो नहीं कर रहे।
संवाददाता को भी जमीनों की केवाईसी धोखाधड़ी, गड़बड़ियों को संबंधित कई मामले की जानकारी चंदेरी शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र से प्राप्त हो रही है जिस पर राजस्व अधिकारियों को इन मामलों को संज्ञान में लेने के लिए सूचित कर दिया गया है, ताकि लोगों को भविष्य में कानूनी झंझटों में ना फंसना पड़े। अब देखना यह होगा कि राजस्व अधिकारी ऐसे मामलों में सतर्कता बरतते हुए क्या निर्देश जारी करते हैं जिससे आगामी भविष्य में केवाईसी में हो रही धोखाधड़ी से आम जनमानस को राहत मिल सके साथ ही भविष्य में अनावश्यक प्रकरणों का बोझ माननीय न्यायालय पर ना पढ़ सके।
इस संबंध में तहसील चंदेरी के प्रभारी तहसीलदार दिलीप दरोगा का कहना है कि विक्रय पत्र संपादित होने के बाद जो केवाईसी कर रहे हैं, वह गलत है, क्योंकि विक्रय पत्र के पश्चात मलिकाना हक नहीं रहता है, जो भी ऐसा करेगा उसे आगे चलकर वैधानिक कार्रवाई को झेलना पड़ेगा।आपने इस प्रकार की केवाईसी के मामले संज्ञान में लाये है, उसके लिए आज ही पटवारियों को मैं निर्देश जारी करूंगा और इस प्रकार की केवाईसी जो हो गई है उन्हें निरस्त करने की भी कार्रवाई करवाऊंगा।
हिन्दुस्थान समाचार/निर्मल
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(Udaipur Kiran) / राजू विश्वकर्मा