धमतरी, 4 अगस्त (Udaipur Kiran) । धमतरी शहर से नौ किमी व रायपुर से 87 किमी दूर रुद्री में स्थित रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रमुख शिवालयों में शामिल है। महानदी के तट पर स्थित इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। सावन में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर पूजा-अर्चना करते हैं। यहां के स्वयंभू शिवलिंग की पूजा करने से लोगों की मनोवांछित मुराद पूरी हो जाती है। शहर से लगे ग्राम रुद्री का रुद्रेश्वर महादेव मंदिर आस्था का केंद्र है। इन दिनों भगवान भोलेनाथ का दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
महानदी के तट पर स्थित इस मंदिर की कीर्ति धमतरी जिले के अलावा अन्य प्रदेशों तक है। यहां का शिवलिंग स्वयंभू है। पूर्व में यहां का मंदिर खंडित स्वरूप में था। वर्तमान में मंदिर का जो स्वरूप दिखाई दे रहा है, वह 13 सालों के भीतर बना है। समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार होता रहा है। महानदी किनारे स्थित रुद्रेश्वर घाट में सावन मास के अलावा माघी पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर महानदी में स्नान करने लोगों की भीड़ उमड़ती है। इस दौरान यहां मेला का भी आयोजन होता, जिसमें धमतरी शहर के अलावा आसपास के 12 गांव से लोग मेला का लुत्फ उठाने पहुंचते हैं।
सावन के सभी सोमवार को होता है यहां भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार
अध्यक्ष विप्र विद्वत परिषद धमतरी के अध्यक्ष पंडित अशोक शास्त्री ने बताया कि सावन माह में हर साल यहां शिवमहापुराण का पाठ होता है। सावन के सभी सोमवार को यहां विशेष श्रृंगार व पूजन किया जाता है। सुबह से शाम तक शिव महिमा के भजन-कीर्तन होते हैं। पूरे साल भर शिवलिंग को फूल, पत्ते, फल, मिठाई से श्रद्धालु सजाते हैं। जिसकी आकर्षक छटा देखते ही बनती है। सालों से यह क्रम चला आ रहा है।
मंदिर की विशेषता
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने वन गमन के दौरान यहां स्थित भगवान रुद्रेश्वर की पूजा-अर्चना कर अपना आगे का मार्ग तय किया था। राम वन गमन क्षेत्र होने की जह यहां की महत्ता बढ़ गई है। सावन मास में हर साल रूद्रेश्वर महादेव मंदिर में महीने भर तक रामायण पाठ होता है।कांवरिए सर्वप्रथम भगवान रुदेश्वर को जल चढ़ाने के द ही अन्य शिवालयों में जल अर्पित करने जाते हैं।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा / चन्द्र नारायण शुक्ल