Madhya Pradesh

इंदौर में 300 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक अहिल्या बावड़ी के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण का कार्य हुआ पूरा

300 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक अहिल्या बावड़ी के जीर्णोद्धार

– जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल, पर्यटन केंद्र के रूप में भी होगा विकास

इंदौर, 09 मई (Udaipur Kiran) । इंदौर जिले के कनाड़िया में स्थित माँ देवी अहिल्या बाई होलकर द्वारा निर्मित 300 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक बावड़ी का जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट की पहल पर पूर्ण कर लिया गया है। इंदौर विकास प्राधिकरण की इस परियोजना पर लगभग एक करोड़ रुपये की लागत आई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा आगामी इंदौर प्रवास के दौरान इस ऐतिहासिक बावड़ी का लोकार्पण और देवी अहिल्या माता की प्रतिमा का अनावरण प्रस्तावित है।

जल संसाधन तुलसीराम सिलावट ने शुक्रवार को कनाड़िया पहुंचकर इस कार्य का अवलोकन किया। मंत्री सिलावट ने बताया कि यह बावड़ी न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी भव्यता और सांस्कृतिक विरासत इसे एक संभावित प्रमुख पर्यटन केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर करती है। उन्होंने कहा कि इसकी सुंदरता और महत्व को देखते हुए इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और इंदौर की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर होगी।

मंत्री सिलावट ने कहा कि यह बावड़ी हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। माँ अहिल्या बाई होलकर की स्मृति से जुड़ी यह संरचना जल संरक्षण का जीता-जागता उदाहरण है। हम इसे सिर्फ संवार नहीं रहे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बना रहे हैं। यह पहल केवल विरासत संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जल गंगा संवर्धन अभियान की सफलता का भी एक प्रत्यक्ष उदाहरण है। वर्षों से उपेक्षित रही यह बावड़ी अब पुनर्जीवित होकर वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण और ग्रामीण जल आपूर्ति के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

पिछले वर्ष सितंबर माह में कनाड़िया के दौरे पर जल संसाधन मंत्री सिलावट पहुंचे तो उन्हें जानकारी मिली कि यह बावड़ी माँ अहिल्या बाई होलकर द्वारा निर्मित की गई थी और वर्तमान में कुछ लोग इसे मिट्टी से भरकर अन्य उपयोग में लेना चाह रहे हैं, तब उन्होंने तत्काल हस्तक्षेप कर इसके किसी अन्य उपयोग पर रोक लगाई। इसके पश्चात अधिकारियों के साथ बैठक की और जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण की कार्ययोजना बनाकर तेज़ी से कार्य प्रारंभ करवाया गया। यह कार्य अब लगभग पूर्ण हो गया है। जल संरक्षण की यह पहल ना केवल इंदौर की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह जल संरक्षण, पर्यटन और सांस्कृतिक जागरूकता का सुंदर संगम भी है।

(Udaipur Kiran) तोमर

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