Uttar Pradesh

भारत के अंतिम व्यक्ति का उत्थान ही पंडित दीन दयाल जी का उद्देश्य : प्रो. राजशरण शाही

भारत के अंतिम व्यक्ति का उत्थान ही पंडित दीन दयाल जी का उद्देश्य

कानपुर, 11फरवरी (Udaipur Kiran) । छत्रपति शाहू जी महराज विश्वविद्यालय के सेनानायक तात्या टोपे सभागार में मंगलवार को पंडित दीन दयाल उपाध्याय की 57 वीं पुण्यतिथि मनाई गई। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. राजशरण शाही ने पंडित दीन दयाल जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पंडित दीन दयाल जी का मुख्य उद्देश्य भारत के अंतिम व्यक्ति का उत्थान था। भारत की संस्कृति चेतना को समझना आवश्यक है। इसके साथ ही भारत की संस्कृति दूसरे को प्रज्वलित करती है। इस दौरान एकात्म दर्शन पर छात्रों के बीच विचार रखे। उन्होंने बताया कि देश का विकास धर्म आधारित होना चाहिए और भारत का चिंतन कर्तव्य केंद्रित है। साथ ही भारत के युवा कर्तव्य को जागृत करना चाहते और देश के विकास में अहम योगदान देना चाहते हैं।

प्रो. शाही ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में 1957 से 1967 के बीच दीनदयाल उपाध्याय जी के साथ काम करने वाले ज्ञानेंद्र मिश्रा ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला और उनके बारे में अपने विचार साझा किए। उन्होनें बताया कि दीन दयाल जी सादा जीवन व्यतीत करते थे।

डॉ ओम उपाध्याय ने उनके व्यक्तित्व के बारे में संक्षिप्त रूप से जानकारी साझा करते हुए कहा कि दीनदयाल उपाध्याय जी साधारण मानव नहीं थे। उन्होंने कहा कि युवाओं को पढ़ना चाहिए और पढ़ने की ऐसी प्रवृत्ति होनी चाहिए जिससे समावेशी विकास हो सके। अंत में उन्होंने कहा कि एकता हमारी विशेषता है ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो.राजशरण शाही, मुख्य वक्ता डॉ ओम उपाध्याय, प्रति कुलपित प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी, कुलसचिव डॉक्टर अनिल कुमार यादव ने दीन दयाल जी के चित्र पर पुष्प चढ़ा कर श्रद्धा सुमन अर्पित की।

विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग की प्रोफेसर डॉ.रश्मि गोरे ने कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों का परिचय करवाया। कार्यक्रम के अगले चरण में पत्रकारिता एंव जनसंचार विभाग के छात्रों द्वारा दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन पर बनाई गई डॉक्युमेंट्री प्रदर्शित की गई।

कार्यक्रम में प्रतिकुलपति डॉ.सुधीर कुमार अवस्थी ने कहा कि हमारे यहां एक संस्कृति है वो भारतीय संस्कृति हैं , जो हमारी विस्तृत विरासत है। हम भारतीय संस्कृति के पुरोधा हैं। साथ ही दीनदयाल उपाध्याय जी की भारतीय संस्कृति से निकली यात्रा है साथ ही हमें परिवार के चरित्र के बारे में सोचना है।

उन्होंने वर्तमान में परिवारों के विघटन के बारे में बताया और उन्होंने कहा कि भारतीय युवाओं में किसी भी चीज में बदलाव लाने की क्षमता हैं । युवा पीढ़ी समाज को नई दिशा दे सकती हैं।

कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव में कुलसचिव डॉ अनिल कुमार यादव ने धन्यवाद किया व मंच का संचालन डॉ रत्नार्थु: मिश्रा ने किया। इस अवसर श्रवण कुमार द्विवेदी डॉ. दिवाकर अवस्थी, डॉ. ओम शंकर गुप्ता ,डॉ. इंद्रेश कुमार शुक्ल, डॉ.विशाल शर्मा एंव शिक्षक शिक्षिका व काफी सख्यां में छात्र छात्राएं मौजूद रहे।

(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद

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