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लखनऊ में 400 साल पुरानी है बड़े मंगल पर भण्डारे की परम्परा

हनुमान सेतु स्थित हनुमान जी की मूर्ति

-बड़े मंगल पर जगह-जगह लगे भण्डारे, मंदिरों में लग रहे बजरंग बली के जयकारे

लखनऊ, 13 मई (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लोगों को ज्येष्ठ माह का बेसब्री से इंतजार रहता है। बजरंगबली की आराधना के लिए सबसे उपयुक्त मास के रूप में इसी समय को माना जा रहा है। आज ज्येष्ठ मास के पहले बड़े मंगल पर लखनऊ (लखनपुरी) के कोने-कोने में हनुमान चालीसा, सुंदरकाण्ड पाठ और हनुमत आराधना के लिए भक्ति गीतों की गूंज सुनाई पड़ रही है। चहुंओर उल्लास का माहौल है।

ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले पहले बड़े मंगल पर शहर में जगह-जगह भण्डारे शुरू हाे गये हैं। भण्डारों में पूड़ी सब्जी, कढ़ी चावल व बूंदी का प्रसाद वितरण हाे रहा है। वहीं अलीगंज हनुमान मंदिर, हनुमान सेतु व हनुमतधाम समेत शहर के सभी हनुमान मंदिरों में दर्शन के लिए सुबह से भक्तों की भारी भीड़ है। सम्पूर्ण मंदिर परिसर बजरंग बली के जयकारे से गूंज रहे हैं। मंदिरों में सजावट की गयी है।

बड़ा मंगल हनुमान जी को समर्पित होता है। ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को पूजा करने से हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और हर संकट दूर करते हैं। लखनऊ में व्यापक रूप से बड़े मंगल के आयोजन की परम्परा है। बड़े मंगल की शुरूआत अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर परिसर में मेले के रूप में हुई थी। लखनऊ में ज्येष्ठ मास के बड़े मंगल पर भण्डारे की परम्परा 400 साल पुरानी है। अब यह आयोजन वृहद रूप धारण कर चुका है। अब लखनऊ के हर चौराहे, हर गली और हर नुक्कड़ पर भंडारा चलता है। लखनऊ में होने वाला यह भंडारा अवध क्षेत्र के लगभग सभी जिलों तक पहुंच गया है।

बड़े मंगल के आयोजन को देखते हुए नगर निगम ने खास तैयारी की है। नगर निगम के अनुसार 348 स्थानों पर भंडारे के लिए पंजीकरण कराया गया है। पंजीकरण स्थल पर नगर निगम की टीम जाकर साफ सफाई करती है। नगर आयुक्त गौरव कुमार के अनुसार नगर निगम के कंट्रोल रूम नंबर 1533 पर काल करके या लखनऊ वन एप के माध्यम से भंडारे के लिए पंजीकरण करा सकते हैं।

स्वच्छता का रखा जा रहा विशेष ध्यान

बड़े मंगल पर होने वाली भण्डारों में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। इसके लिए मंगलमान अभियान की टीम लगातार शहरों में घूम-घूमकर आयोजन टीम के सदस्यों को स्वच्छता व पर्यावरण अनुकूल भण्डारा लगाने के लिए जागरूक कर रही है। अधिकांश स्थानों पर होने वाले भण्डारे में प्लास्टिक के दोने पत्तल व गिलास का उपयोग नहीं हो रहा है। सभी स्थानों पर कूड़ेदान की व्यवस्था की गयी है।

मंगलमान अभियान के प्रमुख राम कुमार तिवारी ने (Udaipur Kiran) से कहा कि भारतीय परंपराएँ समय के साथ बदलाव को अपनाकर ही प्रासंगिक बनी रह सकती हैं। बड़ा मंगल केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार का माध्यम बन चुका है। उन्होंने कहा कि जब परंपरा और आधुनिकता सहयोग करती हैं तो परिणाम मंगलमान जैसे अभियान के रूप में सामने आते हैं – जो न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोते हैं, बल्कि उसे नए आयाम भी प्रदान करते हैं।

(Udaipur Kiran) / बृजनंदन

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