जयपुर, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कोचिंग संस्थानों के विद्यार्थियों के आए दिन आत्महत्या करने से जुडे मामले में गंभीर मौखिक टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि बच्चों की समस्या सिस्टम की गडबडी नहीं है, बल्कि वे अभिभावक हैं जो अपने बच्चों से इतनी ज्यादा उम्मीद करते हैं। कई अभिभावक कहते हैं कि या तो पास हो जाना या वापस मत आना। ऐसे में बच्चों पर सिस्टम के साथ ही अभिभावकों का भी दबाव बना रहता है। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह व वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी कोटा के कोचिंग सेंटर्स के विद्यार्थियों की ओर से आए दिन आत्महत्या करने के मामले में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने मामले की सुनवाई आठ सप्ताह बाद रखते हुए राज्य सरकार को यह बताने को कहा है कि गत मई माह में दिए निर्देशों की क्या पालना की गई। इसके अलावा राज्य सरकार से यह भी बताने को कहा है कि प्रदेश में कितने कोचिंग संस्थान रजिस्टर्ड हैं।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि कोचिंग संस्थानों के संबंध में राज्य सरकार कंट्रोल एंड रेग्युलेशन बिल तैयार कर रही है। इसमें कोचिंग संस्थानों से भी सुझाव मांगे हैं और उन्हें भी इसमें शामिल किया जाएगा। केन्द्र सरकार की ओर से दी गाइडलाइन को भी शामिल किया जाएगा। दरअसल पिछली सुनवाई पर न्याय मित्र की ओर से कहा था कि अदालत के कई आदेश के बाद भी कोई परिणाम सामने नहीं आए हैं। इसलिए अदालत गाइड लाइन बनाकर उनकी प्रभावी क्रियान्विति के लिए सख्ती बरते। इसके अलावा केन्द्र सरकार की ओर भी कहा था कि उन्होंने गाइड लाइन बनाकर 16 जनवरी 2024 को राज्य सरकार को दे दी। इन गाइड लाइन में कोचिंग इंस्टीट्यूट के लिए कई प्रावधान बनाए हैं और इनकी सख्ती से पालना करवाई जाए।
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(Udaipur Kiran)