
कोलकाता, 07 अप्रैल (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में अवैध तरीके से हुई नियुक्ति की वजह से 25 हजार 753 शिक्षकों और गैर शिक्षा कर्मियों को नौकरी से हटाने का आदेश दिया है। नियम अनुसार राज्य सरकार को तत्काल इसका पालन करना चाहिए लेकिन सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन लोगों से मुलाकात की और कहा कि किसी की भी नौकरी नहीं जाएगी, काम करते रहिए। इसके बाद शिक्षकों ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वे स्कूल में जाते रहेंगे। हालांकि मुख्यमंत्री के आश्वासन को लेकर उनके बीच कुछ भ्रम और सवाल बने हुए हैं, फिर भी अधिकांश की राय यही है कि वे फिर से पढ़ाने के लिए स्कूल जाना चाहते हैं।
सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में ममता बनर्जी ने इन शिक्षकों से संवाद करते हुए कहा, क्या आप सभी को अब तक बर्खास्तगी का नोटिस मिला है? नहीं मिला तो काम शुरू करिए। स्वेच्छा से सभी वापस काम पर लौट सकते हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया कि योग्य लोगों की नौकरी सुरक्षित रहेगी और सरकार इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने वादा किया कि दो महीने के भीतर वैकल्पिक उपाय कर लिए जाएंगे ताकि योग्य शिक्षकों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
मुख्यमंत्री के इस आश्वासन के बावजूद शिक्षक-शिक्षिकाओं के मन में कई सवाल बाकी हैं। सबसे बड़ी चिंता यह है कि यदि वे स्कूल लौटते हैं तो क्या उन्हें नियमित वेतन मिलेगा? या फिर उन्हें बिना वेतन स्वेच्छासेवा करनी पड़ेगी? साथ ही, यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह व्यवस्था कितने दिन तक चलेगी और स्थायी समाधान क्या होगा।
कुछ शिक्षक यह भी सोच रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट योग्य और अयोग्य शिक्षकों की सूची किसके माध्यम से राज्य सरकार को सौंपेगा — स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के जरिये या किसी अन्य माध्यम से? इन सवालों को लेकर भी एक वर्ग में संशय है।
नेताजी इंडोर स्टेडियम में बैठक के बाद अधिकांश शिक्षकों ने कहा कि वे स्कूल में पढ़ाने के लिए तैयार हैं। परंतु, बगैर वेतन के सेवा देने का सवाल उन्हें परेशान कर रहा है। आर्थिक असुरक्षा उनकी चिंता का प्रमुख कारण बनी हुई है।
नदिया के पलाशी से बैठक में शामिल होने आए महम्मद मुर्शिद विश्वास, जो मुर्शिदाबाद के एक स्कूल में शिक्षक थे, ने कहा कि मुख्यमंत्री की बातों से उन्हें कुछ हद तक राहत मिली है, लेकिन पूरी तरह संतुष्ट होने के लिए लिखित निर्देश या स्पष्ट योजना की जरूरत है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
