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बांग्लादेश में अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हिन्दुओं की स्थिति कठिन, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ऐसे समय में बांग्लादेश के हिंदुओं के साथः पूर्णेंदु सक्सेना

प्रांत सरसंघ चालक बाबूलाल वर्मा के साथ प्रेस कांफ्रेंस करते हुए मध्यक्षेत्र संघचालक पूर्णेंदु सक्सेना

– मध्यक्षेत्र संघचालक पूर्णेंदु सक्सेना ने की पत्रकार वार्ता

रायपुर, 25 मार्च (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने प्रेस वार्ता आयोजित की। प्रेस वार्ता में मध्यक्षेत्र संघचालक पूर्णेंदु सक्सेना ने संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में हाल ही में हुए तख्तापलट के बाद अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हिन्दुओं की स्थिति और कठिन हो गई है। नृशंस हत्याएं, महिलाओं के अपहरण और मतांतरण की घटनाएं सामने आ रहीं हैं। यह मानवाधिकार का हनन है। हिंदुओं के साथ-साथ अन्य अल्पसंख्यक भी इससे प्रताड़ित हैं। संघ ने ऐसे समय में बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ एक साथ खड़े रहने का प्रस्ताव पारित किया है।

प्रांत सरसंघचालक बाबूलाल वर्मा के साथ प्रेस कांफ्रेंस करते हुए मध्यक्षेत्र संघचालक पूर्णेंदु सक्सेना ने बताया कि संघ की सर्वोच्च बॉडी, अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की 21 से 23 मार्च तक बेंगलुरु में बैठक हुई। इसका संचालन दत्तात्रेय होसबोले ने किया। इसमें 40 से ज्यादा संगठनों ने हिस्सा लिया। संघ के कार्य में अभूतपूर्व विकास हुआ है। मार्च 2024 और 2025 के बीच 45600 से बढ़कर 51610 जगहों पर संघ का विस्तार हुआ है। सामाजिक समरसता पर भी समीक्षा हुई।

उन्होंने बताया की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बेंगलुरु में 21 से 23 मार्च तक चली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में बांग्लादेश में हिंदुओं और विशेष रूप से अनुसूचित जाति एवं जनजाति समाज का इस्लामिक कट्टरपंथी तत्वों द्वारा उत्पीड़न पर चिंता व्यक्त करते हुआ कहा गया कि यह कोई नई बात नहीं है ।बांग्लादेश में हिंदुओं की निरंतर घटती जनसंख्या ( 1951 में 22 प्रतिशत से घटकर से वर्तमान में 7.9प्रतिशत)दर्शाती है कि उनके सामने अस्तित्व का संकट है। विशेषकर पिछले वर्ष की हिंसा और घृणा को जिस तरह से जिस तरह सरकारी और संस्थागत समर्थन मिला वह गंभीर चिंता का विषय है। साथ ही बांग्लादेश से लगातार हो रहे भारत विरोधी वक्तव्य दोनों देशों के संबंधों को गहरी हानि पहुंचा सकती है।

सक्सेना ने प्रेस वार्ता में बांग्लादेश के मुद्दे पर हुई चर्चा की जानकारी देते हुए बताया कि बांग्लादेश में हिन्दुओं की निरंतर बढ़ती जनसंख्या घट गई है, यह चिंता का विषय है। बांग्लादेश से आ रहे वक्तव्य दोनों देशों के बीच मतभेद पैदा कर रहा है। एक जगह पर हुई उथल-पुथल अन्य जगहों को भी प्रभावित करती है। बांग्लादेश के हिंदू समाज ने लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया है। विश्व भर के हिंदू समाज ने उन्हें समर्थन किया है। विश्व भर के अनेक नेताओं ने अपने स्तर पर इसे उठाया है।

उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि सभा भारत सरकार से अनुरोध करती है कि वहां के हिंदुओं की सुरक्षा के लिए उनके अधिकारों के लिए वहां की सरकार से बातचीत करे। वहां की सरकार पर दबाव बनाकर बातचीत करे। सभी हिन्दू संगठन एक साथ होकर इसके खिलाफ आवाज उठाए।उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि सभा भारत सरकार से अनुरोध करती है कि वहां के हिंदुओं की सुरक्षा के लिए उनके अधिकारों के लिए वहां की सरकार से बातचीत करे।

उन्होंने जानकारी दी कि विजयादशमी के दिन आरएसएस की स्थापना को शताब्दी वर्ष होगा। इसे संघ एक अवसर के रूप में प्रयोग करेगा। हमारा जो विचार है, उसको समाज तक ले जाने का प्रयास रहेगा। मंडल स्तर पर विजयादशमी के दिन हम लोगों तक पहुंच सके, ऐसी योजना बनी है। एक विस्तृत गृह संपर्क करने की योजना भी बनाई गई है। सभी मंडलों में हिंदू सम्मेलन कराया जाए, ऐसी योजना बन रही है। जिला स्तर पर प्रमुख नागरिकों के साथ परिचर्चा का आयोजन किया जाएगा। हर विमर्श, जो देश को तोड़ने वाला होता है, उसको खत्म करने का प्रयास किया जाएगा।

सेवा प्रकल्पों के बारे में सक्सेना ने बताया कि रायपुर विभाग में ही ऐसे उपक्रम चलाने वाली शाखाओं की संख्या 61 है। छत्तीसगढ़ में सेवा उपक्रमशील शाखा (जो साल में न्यूनतम दो सेवा उपक्रम अवश्य करती हों) रायपुर में ऐसी शाखाओं की संख्या 54 है, जबकि रायगढ़ में 82 व दुर्ग में 77 है। छत्तीसगढ़ में सेवा भारती द्वारा ही 99 सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं। इनमें रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, अंबिकापुर, दुर्ग, राजनांदगांव, जगदलपुर में संचालित मातृछाया प्रमुख हैं। यहां ऐसे बच्चों को आश्रय दिया जाता है, जिनके माता-पिता नहीं हैं या जिन्हें परित्यक्त कर दिया गया है। इन बच्चों के भोजन, कपड़े, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा व मनोरंजन की उत्कृष्ट व्यवस्था मातृछाया में समाज के सहयोग से प्रदान की जाती है। इसके साथ ही 7 अलग-अलग स्थानों पर कन्या छात्रावास तथा 2 स्थान पर आश्रय गृह संचालित किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ प्रांत में 59 संस्कार केंद्र भी संचालित हो रहे हैं। इन संस्कार केंद्रों में बच्चों को स्वच्छता, श्रेष्ठ आचरण, राष्ट्र भक्ति, भोजन मंत्र के साथ सामूहिकता आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। सेवा भारती द्वारा प्रांत में 11 किशोरी विकास केंद्र भी संचालित हो रहे हैं।

पर्यावरण गतिविधि की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि महाकुंभ प्रयागराज को हरित कुंभ की दृष्टि से एक थैला एक थाली अभियान चलाया गया था। जिसमें पूरे छत्तीसगढ़ प्रांत से 70,983 थैले और थालियां समाज के सहयोग से प्राप्त हुए।आगामी समय में प्रांत के धार्मिक आयोजनों को पॉलिथीन मुक्त करने की योजना है, जिससे ’जन जन में कुंभ घर घर में कुंभ और कुंभ में कुंभ’ का उद्देश्य पूर्ण होगा। राष्ट्रीय छात्र पर्यावरण प्रतियोगिता जो पहली से स्नातकोत्तर तक चार स्तरों पर आयोजित की गई। जिसमें प्रदेश के 31856 प्रतिभागी सम्मिलित हुए।

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(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा

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