लखनऊ, 30 सितम्बर (Udaipur Kiran) । हस्त नक्षत्र के
शुरू होते ही इस बार पूरे प्रदेश में अधिकांश जगहों पर बारिश हुई। यदि यह बारिश आगे
10 दिनों के भीतर पुन: हो जाए तो खरीफ की अधिकांश फसलों के साथ ही रबी की फसल के
लिए बेहतर होगी।
हस्त
नक्षत्र को भारतीय कृषि की दृष्टि से चार भागों में बांटा गया है। ऐसी मान्यता है कि
इसके चार पाद हैं। पहले पाद को लोहा, दूसरे को तांबा, तीसरे को चांदी और चौथे को
सोना कहा जाता है। इसका आशय यह है कि हस्त नक्षत्र का लोहा सोमवार को समाप्त हो गया।
अभी तक बारिश लोहा में ही हुआ है।
ऐसी
मान्यता है कि लोहा चरण में बारिश होने से मिट्टी लोहा जैसी हो जाती है, तांबा
में तांबा जैसी, चांदी में चांदी जैसी और यदि अंतिम चरण अर्थात सोना में बारिश हो
जाय तो मिट्टी सोना की तरह हो जाती है अर्थात रबी की फसल ज्यादा उपजाऊ हो जाएगी।
सब्जी
अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डा. ए.बी. सिंह का कहना है कि पुरानी जो भी मान्यताएं
वह बहुत ही सोच-समझकर बनाई गयी हैं। हस्त नक्षत्र के अंतिम पाद में यदि बारिश हो
जाय तो धरती के नीचे पानी का स्तर ऊपर बना रहेगा। इसके साथ ही मिट्टी भी उपजाऊ हो
जायेगी, क्योंकि उसकी नमी बरकरार रहेगी।
सुलतानपुर
जिले के जैविक खेती करने वाले प्रगतिशील किसान रामकृत मिश्र का कहना है कि आज भी
वैज्ञानिक युग प्रकृति के आगे फेल है। प्रकृति से जितना नजदीक रहेंगे, उतना ही
ज्यादा फायदा होने वाला है। यदि इसी नक्षत्र का देखें तो अंतिम पाद में बारिश होने
से दलहन, तिलहन से लेकर गेहूं की फसल को काफी फायदा होता है। पहले पाद में बारिश
यदि होकर बंद हो गयी तो रबी की फसल बोने तक मिट्टी लोहे के समान हो जाएगी।
वहीं मौसम विभाग
के अनुसार, सोमवार को
लखनऊ में अधिकतम तापमान 31 डिग्री और
न्यूनतम 24 डिग्री
सेल्सियस के आसपास रहेगा। पूर्वी उत्तर प्रदेश में पांच अक्टूबर तक कहीं-कहीं
हल्की वर्षा होगी। पश्चिमी
उत्तर प्रदेश में मौसम शुष्क रहने का अनुमान है।
गाजीपुर जिले के प्रगतिशील किसान पंकज
राय का कहना है कि हस्त नक्षत्र के अंतिम चरण में बारिश का अच्छा प्रभाव तो सब पर
पड़ता है, लेकिन ज्यादा प्रभावित परंपरागत खेती को करता है। टमाटर की खेती के लिए
तो यह नुकसानदायक होगा, लेकिन बैगन और मिर्च पर इसका सामान्य असर रहेगा।
(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र नाथ राय