जयपुर, 18 जनवरी (Udaipur Kiran) । जिफ का दूसरा दिन शनिवार देश विदेश की फिल्मों की स्क्रीनिंग से सराबाेर रहा। साथ ही अनेक डायलॉग्स का आयोजन किया गया। 80 फिल्मों के चयनित कार्यक्रम में 18 फीचर फिक्शन, 37 शॉर्ट फिक्शन और नाै प्रभावशाली डॉक्यूमेंट्री शामिल रहीं। इन फिल्मों ने दर्शकों को सिनेमा की अनूठी यात्रा पर ले जाने का अवसर दिया।
नवरत्न
हिंदी सिनेमा की अमिट धरोहर का जश्न मनाने के लिए इस साल की विशेष थीम नवरत्न के तहत नाै आइकोनिक हिंदी फिल्मों को प्रदर्शित किया जा रहा है। 18 जनवरी को इन नाै में से तीन क्लासिक फिल्मों की स्क्रीनिंग स्क्रीन 1 पर हुई। इनमें
देवदास (1936), रंग दे बसंती (2006)और वीर-ज़ारा (2004) शामिल रही। फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने एक विशेष सत्र का आयोजन किया। उन्होंने अपनी रचनात्मक यात्रा और फिल्म निर्माण की विचारधारा पर सार्थक चर्चा की।
मेहरा ने कहा कि सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बनाने वाले फिल्मकार का रास्ता चुनौतियों से खाली नहीं होता। मेहरा ने एक रेडियो कार्यक्रम के दौरान मिली मौत की धमकी का क्षण साझा किया। साथ ही अपनी फिल्मों की विषय-वस्तु के कारण सामना किए गए विभिन्न कानूनी संघर्षों के बारे में बताया। महामारी के बाद की चुनौतियों, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स के प्रभाव और बदलते उपभोक्ता व्यवहार पर उद्योग विशेषज्ञों जैसे मार्क बाशे, संजय चटर, अनुज बाजपेई और दीपक दुआ की अंतर्दृष्टि वाली एक व्यापक चर्चा हुई। सत्र ने फिल्म वितरण की रणनीतियों और डिजिटल परिवर्तन के लिए उद्योग के अनुकूलन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला।
सत्र की शुरुआत फिल्म उद्योग की महामारी के बाद की रिकवरी के विश्लेषण से हुई। पेन मरुधर सिने एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक संजय चतर ने सिंगल स्क्रीन थिएटर से मल्टीप्लेक्स तक के महत्वपूर्ण परिवर्तन पर प्रकाश डाला। प्रसिद्ध फ्रांसीसी फिल्म निर्माता मार्क बाशे ने महामारी के बाद फिल्मों के विभिन्न प्रदर्शनों पर अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने वितरण क्षमता को अधिकतम करने के लिए वैश्विक बाजारों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका को लक्षित करने के महत्व पर भी जोर दिया।
वक्ताओं ने नेटफ्लिक्स पर 15 मिलियन डॉलर की एक फिल्म की सफलता के एक उल्लेखनीय मामले पर चर्चा की, जो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। चर्चा ने पारंपरिक थिएटर की व्यवहार्यता के बारे में चिंताओं को उजागर किया, जबकि सामग्री की पहुंच बढ़ाने में स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स की भूमिका को स्वीकार किया।
हंगामा के सीईओ अनुज बाजपेई ने विकसित हो रही सामग्री खपत पैटर्न पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की। फिल्म निर्माताओं के लिए वितरण रणनीति
सत्र ने फिल्म निर्माताओं को वितरकों तक प्रभावी ढंग से पहुंचने पर मूल्यवान मार्गदर्शन दिया। अंतिम खंड प्रभावी मार्केटिंग रणनीतियों पर केंद्रित रहा।
जयपुर अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में एक विचारोत्तेजक सत्र के दौरान फिल्म उद्योग के दिग्गज मुश्ताक शेख, एंड्रयू वायल, नीलांजनजना रीता दत्ता और दीपक दुआ ने सीमित बजट में प्रभावशाली फिल्में बनाने की चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की। आधुनिक फिल्म निर्माण में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर भी विस्तार से चर्चा हुई। पैनल ने भूमिकाओं के आधार पर उपयुक्त कास्टिंग के महत्व पर जोर दिया, न कि सोशल मीडिया उपस्थिति पर। हंगामा के सीईओ अनुज बजपई ने अपने चैनल की कंटेंट-प्रथम दृष्टिकोण को साझा किया। सत्र का समापन फिल्म निर्माण और वितरण के भविष्य पर एक दूरदर्शी चर्चा के साथ हुआ। उन्नीस जनवरी काे भारतीय सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री देवयानी के साथ एक विशेष संवाद सत्र का आयोजन होगा। देश विदेश के नामी फिल्मकार भाग लेने जयपुर जिफ में आए हैं।
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(Udaipur Kiran) / रोहित