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राजस्थानी ठाठ -बाठ से निकली गणगौर की शाही सवारी

राजस्थानी ठाठ -बाठ से निकली गणगौर माता की शाही सवारी
राजस्थानी ठाठ -बाठ से निकली गणगौर माता की शाही सवारी

जयपुर, 31 मार्च (Udaipur Kiran) । गणगौर की पारंपरिक शाही सवारी सोमवार को पूरे ठाट-बाट और राजसी लवाजमे के साथ सिटी पैलेस से त्रिपोलिया गेट होते हुए निकाली गई। इस दौरान जयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्यों ने त्रिपोलिया गेट पर गणगौर माता की विधिवत पूजा-अर्चना की। इस भव्य आयोजन को देखने के लिए देश-विदेश से हजारों पर्यटक जयपुर पहुंचे।

पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम में गणगौर माता की शाही सवारी सिटी पैलेस से शुरू होकर छोटी चौपड़, गणगौरी बाजार और तालकटोरा तक पहुंची। शोभायात्रा में कच्ची घोड़ी, कालबेलिया, बहुरूपिया, अलगोजा गैर और चकरी सहित पारंपरिक लोक नृत्य व अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र रहीं। सवारी में तोप गाड़ी, सुसज्जित रथ, घोड़े और ऊंटों का भव्य लवाजमा भी शामिल रहा।

पर्यटन विभाग के उप निदेशक उपेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि इस बार गणगौर महोत्सव को और भव्य रूप दिया गया है। शोभायात्रा में कलाकारों की संख्या बढ़ाई गई और नए आकर्षण जोड़े गए। पहली बार ड्रोन के जरिए पुष्पवर्षा की गई, जबकि प्रदेशभर में 200 एलईडी स्क्रीन पर शोभायात्रा का सीधा प्रसारण किया गया। उन्होंने बताया कि सवारी सोमवार शाम 5:45 बजे निकाली गई, जिसमें 250 लोक कलाकारों ने भाग लिया। सजी-धजी पालकियों, ऊंटों, घोड़ों और हाथियों के लवाजमे में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई।

गणगौर शोभायात्रा के खास आकर्षणों में तीन अतिरिक्त हाथी, 12 घोड़े, छह सजे-धजे ऊंट और दो विक्टोरिया बग्गी शामिल थीं। पारंपरिक वेशभूषा में 24 सदस्यीय दल और अरवाड़ा संप्रदाय के अनुयायियों ने भी अपनी विशेष प्रस्तुतियां दीं। छोटी चौपड़ पर सवारी के स्वागत के लिए तीन भव्य मंच तैयार किए गए। दो मंचों पर लोक कलाकारों ने रंगारंग प्रस्तुतियां दीं, जबकि तीसरे मंच से गणगौर माता की पूजा और पुष्पवर्षा की गई। पुलिस बैंड और घूमर नृत्य की विशेष प्रस्तुति भी आकर्षण का केंद्र रही।

इस वर्ष पहली बार शोभायात्रा के दौरान ड्रोन से पुष्पवर्षा की गई। तालकटोरा में राजस्थानी लोक कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य और गायन की विशेष प्रस्तुतियां दीं। पर्यटकों और स्थानीय दर्शकों के लिए विशेष बैठने की व्यवस्था की गई थी, जिससे वे इस पारंपरिक उत्सव का आनंद ले सकें।

(Udaipur Kiran)

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