
– दीक्षांत समारोह में स्नातक छात्राओं को राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने किया सम्मानित
जोरहाट (असम), 10 अप्रैल (Udaipur Kiran) । असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने आज जोरहाट में असम महिला विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में भाग लिया, जहां उन्होंने स्नातक करने वाली छात्राओं की उपलब्धियों को मान्यता दी और उनकाे सम्मानित किया। यह चौथा दीक्षांत समारोह असम महिला विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जिसने नई पीढ़ी की महिलाओं को सशक्त और सामाजिक रूप से जागरूक महिला नेताओं के रूप में आकार देने में अपनी भूमिका को मजबूत किया।
कार्यक्रम में राज्यपाल आचार्य ने असम महिला विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि यह क्षेत्र में उच्च शिक्षा का पहला संस्थान है, जो विशेष रूप से महिलाओं के शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए समर्पित है। विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए राज्यपाल ने शिक्षा, नवाचार और सामाजिक सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और आशा व्यक्त की कि विश्वविद्यालय आने वाले वर्षों में नए मानक स्थापित करना जारी रखेगा। प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक महिलाओं के नेतृत्व की समृद्ध विरासत का हवाला देते हुए राज्यपाल ने कहा, हमारी प्राचीन संस्कृति में महिलाओं को हमेशा से ही सम्माननीय स्थान प्राप्त रहा है। गार्गी और लोपामुद्रा जैसी विद्वानों से लेकर रानी लक्ष्मीबाई और सावित्रीबाई फुले जैसी आधुनिक हस्तियों तक, भारतीय महिलाओं ने स्थायी सामाजिक प्रभाव पैदा करने में लगातार अग्रणी भूमिका निभाई है।राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की पहल, लचीले और महत्वाकांक्षी परिवर्तनकारी भारतीय महिलाओं के लिए समग्र उन्नति पर गर्व व्यक्त किया। उन्हाेंने कहा कि महिला केंद्रित विकास मॉडल का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और आर्थिक सशक्तीकरण सहित विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के बीच आत्मनिर्भरता और नेतृत्व को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के परिकल्पित विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
राज्यपाल ने तेजी से हो रहे तकनीकी बदलाव के दौर में आजीवन सीखने के महत्व पर भी प्रकाश डाला और छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस और ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे उभरते क्षेत्रों में अवसरों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अगर एक महिला शिक्षित होती है, तो पूरा परिवार शिक्षित हो सकता है। उन्होंने उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (2021-22) का हवाला दिया, जिसमें बताया गया कि अब उच्च शिक्षा में नामांकन में महिलाओं की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत से अधिक है और महिला पीएचडी शोधकर्ता पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ रही हैं।
राज्यपाल आचार्य ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ विश्वविद्यालय के संरेखण की भी सराहना की, जो राष्ट्रीय परिवर्तन और आत्मनिर्भरता के लिए लचीलेपन, बहु-विषयक शिक्षा और कौशल विकास पर जोर देती है। राज्यपाल ने स्नातकों को प्रोत्साहित किया कि वे अपनी डिग्री को केवल अकादमिक प्रमाण-पत्र के रूप में न देखें, बल्कि कार्रवाई के आह्वान के रूप में देखें – सहानुभूति, अखंडता और जिम्मेदारी की भावना के साथ समाज की सेवा करें। उन्होंने कहा, सच्चा विकास इस बात से मापा जाता है कि हम उन लोगों पर क्या प्रभाव डालते हैं जिन्हें सबसे अधिक ज़रूरत है। अपनी शिक्षा को हमारे समाज में सकारात्मक बदलाव की ताकत बनने दें।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय ने समाज में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए अनीता चेतिया को मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की। इसके अलावा 333 विद्यार्थियों ने अपनी उपाधियां प्राप्त कीं। इस अवसर पर असम सरकार के उच्च शिक्षा सलाहकार प्रो. देबब्रत दास, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजंता बोरगोहाईं राजकोंवर, गौहाटी विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर प्रो. अनीता तामुली सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
(Udaipur Kiran) / अरविन्द राय
