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कानपुर, 20 फरवरी (Udaipur Kiran) । अधिवक्ता समाज के खिलाफ अधिवक्ताओं के लिए फांसी का फंदा अधिवक्ता संशोशन प्रस्तावित है। पूरे देश के जनसामान्य से सुझाव मांगे गए। यह अधिनियम सुझाव लायक ही नहीं है। इससे वकीलों में बड़ा रोष व्याप्त है। यह बातें कहते हुए गुरुवार को लायर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पंडित रविंद्र शर्मा ने कचहरी परिसर में अधिवक्ता अधिनियम की प्रतियां फाड़ कर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की।
उन्होंने बताया कि प्रस्तावित संशोधन के द्वारा केंद्र सरकार अपने सदस्य नामित कर बार काउंसिल आफ इंडिया की स्वायत्तता समाप्त करने की कोशिश है। अधिवक्ता और अधिवक्ता संस्थाओं से हड़ताल की शक्ति को छीनकर उसे कदाचार की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देगें।
पूर्व अध्यक्ष ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज या किसी हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में दो हाई कोर्ट के पूर्व जज एक सीनियर एडवोकेट और एक बी सी आई सदस्य की शिकायत निवारण समिति बना जांच कर अधिवक्ता को दंड और 3 लाख तक के जुर्माने से दंडित करने के साथ लाइसेंस तक समाप्त कर देंगें, और केंद्र सरकार को बी सी आई को निर्देश देने के साथ विदेशी वकीलों और विदेशी विधि फर्मों को नियम के लिए बना कर भारत में वकालत की अनुमति देने वाले संशोधन विधेयक जो बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर रचित संविधान के अनुच्छेद 19 ( विरोध का अधिकार)के विपरीत है।
इस विधेयक के ज़रिये न्यायव्यवस्था के मजबूत स्तंभ अधिवक्ताओं को कमजोर करने व न्यायपालिका पर कब्जे के प्रयास करने वालों के खिलाफ अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 की प्रतियों को कचहरी परिसर के शताब्दी गेट के अंदर वरिष्ठों की सलाह पर प्रतियों को फाड़कर अपना रोष प्रदर्शित किया है। हमारी मांग है कि तत्काल अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 को वापस लिया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार के कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अधिवक्ताओं के स्वास्थ्य बीमा को लागू करने को कहा था उसे भी लागू किया जाए, अन्यथा देश का अधिवक्ता सड़कों पर उतर कर आंदोलन के लिए बाध्य होगा। जिसकी पूरी जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी।
इस मौके पर राम नवल कुशवाहा कोषाध्यक्ष बार एसोसिएशन,अरविंद दीक्षित, गुलाम रब्बानी, शैलेश त्रिवेदी, अनूप जायसवाल, संजीव कपूर, आशुतोष शर्मा, शंभू मिश्रा,शिवम गंगवार, इंद्रेश मिश्रा आदि मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद
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