Uttar Pradesh

कर्म के उद्देश्य ही फल के रूप को निर्धारित करता है : देवी चित्रलेखा

कर्म के उद्देश्य ही फल के रूप को निर्धारित करता है -देवी चित्रलेखा
कर्म के उद्देश्य ही फल के रूप को निर्धारित करता है -देवी चित्रलेखा
कर्म के उद्देश्य ही फल के रूप को निर्धारित करता है -देवी चित्रलेखा

सुल्तानपुर, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । कथा कराने के पीछे क्या उद्देश्य है, उसी पर कथा का फल निर्भर करता है। व्यक्ति के कर्म उसके फल के बड़े कारक हैं। अच्छे कर्म करने का फल अलग और बुरे कर्म का फल स्वयं जगदीश ने निर्धारित किया है। भगवान ने संसार का ऐसा स्ट्रक्चर बनाया है कि यह पूरा दुखालय है । यहां पग-पग पर दु:ख ही मिलने हैं, पर यह स्थाई नहीं है। दु:ख मे ईश्वर का हाथ पकड़े रहिये फिर सुख भी आयेगा ।

उक्त विचार श्रीमद्भागवत महापुराण के चतुर्थ दिवस की कथा मे अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास देवी चित्र लेखा ने कही। यहां देवी ने भक्त प्रहलाद गजेंद्र समुद्र मंथन की कथा सुनाई। उन्हाेंने बताया कि मंथन से निकले अमृत को लेकर संघर्ष शुरू हुआ तब नारायण स्त्री स्वरूप लेकर पहुंचे और चालाकी से देवताओ को अमृत पिला दिया। सूर्य व चंद्रमा के बीच छिपे राहु ने अमृत पान कर लिया। जिसका सिर नारायण ने सुदर्शन से काट दिया। उन्हाेंने मर्यादा पुरुषोत्तम के बाल व्यवहार की चर्चा की। चित्रलेखा ने देवकी और वासुदेव के विवाह आकाशवाणी वासुदेव और देवकी के कारागार में डालने व आठवें पुत्र रूप में श्री कृष्ण के जन्म होने व मां भगवती विंध्याचल निवासिनी की कथा विस्तार से सुनाई।

भागवत पीठ की आरती में प्रदेश सरकार में मंत्री गिरीश यादव, डॉ ए के सिंह, डॉ आर के मिश्र, धर्मेंद्र सिंह बबलू, डॉ शैलेंद्र त्रिपाठी, प्रवक्ता विजय सिंह रघुवंशी, प्रधान संघ अध्यक्ष मनोज तिवारी, रेनू सिंह, श्याम नारायण पांडेय, विनोद पांडेय, क्षितिज मिश्र, राकेश त्रिपाठी,

शशि कांत तिवारी, पूर्व मंडल अध्यक्ष जग प्रसाद सिंह आदि रहे। आयोजक पंडित रामचंद्र मिश्र ने सभी का स्वागत किया।

—————

(Udaipur Kiran) / दयाशंकर गुप्ता

Most Popular

To Top