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विद्या का उद्देश्य केवल आजीविका नहीं, बल्कि आत्मिक मुक्ति है :  आचार्य देवव्रत

राज्यपाल आचार्य देवव्रत की अध्यक्षता में सोमवार डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी का 10वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया।

डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने लिया भाग

अहमदाबाद, 14 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राज्यपाल आचार्य देवव्रत की अध्यक्षता में सोमवार को डॉ.आंबेडकर की जयंती पर डॉ. बाबा साहब आंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी का 10वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। इस मौके पर राज्यपाल ने विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ आत्मिक विकास की ओर भी प्रस्थान करने का संदेश दिया। दीक्षांत समारोह में 18,108 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई। इसके अलावा कुल 39 स्वर्ण पदक, 40 रजत पदक और 42 प्रमाणपत्र दिए गए। इस प्रकार कुल 121 पदक और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने डॉ. आंबेडकर के जीवन और कार्यों को याद करते हुए कहा कि वे भारत के इतिहास में स्वतंत्रता काल के एक ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने समाज में फैली कुरीतियों और जात-पांत के भेदभाव के विरुद्ध एक आंदोलन शुरू किया था। प्रत्येक व्यक्ति समान रूप से आगे बढ़े, ऐसा उनका चिंतन था। यदि हम सभी एकता और समरसता से आगे बढ़ेंगे, तो हमारा समाज और देश नई ऊंचाइयां प्राप्त कर सकेगा। उन्होंने इस अवसर पर बाबासाहब की जयंती का स्मरण करते हुए उनके विचारों को सभी के लिए प्रेरणास्पद बताया।

राज्यपाल ने कहा कि परिश्रम और समर्पण के परिणामस्वरूप वे आज अपनी डिग्री प्राप्त कर रहे हैं। माता-पिता, समाज और राष्ट्र की विद्यार्थियों से अपेक्षाएं होती हैं। जो युवा इन तीनों की भावनाओं का सम्मान करता है, समाज और राष्ट्र के लिए अपनी शिक्षा और कौशल का उपयोग करता है, वही सफल माना जाता है। उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा वह है, जो केवल नौकरी के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए उपयोगी बने। उन्होंने वैदिक संदर्भ देते हुए कहा कि ‘सा विद्या या विमुक्तये’ – सच्ची विद्या वह है जो मुक्ति की ओर ले जाए। हमारी भारतीय विद्या परंपरा का यही परम ध्येय है।

उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति परा और अपरा दोनों प्रकार की विद्या प्राप्त करने का संकेत देती है। आत्मा, परमात्मा, संसार, सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करना ही शिक्षा का सार है। शारीरिक और आत्मिक जीवन के अंतर को समझाते हुए उन्होंने कहा कि शारीरिक सुख-साधन जीवन का उद्देश्य नहीं, बल्कि केवल साधन हैं। भारतीय दर्शन भौतिक विकास का विरोध नहीं करता, लेकिन भौतिक सुख को अंतिम लक्ष्य भी नहीं मानता। भौतिक सुख साधन आत्मिक विकास के लिए सीढ़ी होना चाहिए।

उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री ऋषिकेशभाई पटेल ने कहा कि आज डॉ. बाबासाहब आंबेडकर यूनिवर्सिटी के 10वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में छोटे बच्चों को आमंत्रित किया गया है, यह सराहनीय बात है। आज युवा विद्यार्थियों को डिग्री मिलने जा रही है, यह देखकर छोटे बच्चों को प्रोत्साहन प्राप्त होगा। मंत्री ऋषिकेशभाई पटेल ने ज्ञान और जानकारी के अंतर को समझाते हुए कहा कि ज्ञान और जानकारी के बीच पतली रेखा है। शिक्षा के माध्यम से जो जानकारी प्राप्त होती है और इस जानकारी का समाज तथा लोककल्याण के लिए उपयोग किया जाता है, वही ज्ञान कहलाता है। यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर एम. जगदेश कुमार ने कहा कि एनआईआरएफ की 2024 की रैंकिंग के अनुसार डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी (बीएओयू) ने भारत में ओपन यूनिवर्सिटी की श्रेणी में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डॉ. अमीबेन उपाध्याय ने विश्वविद्यालय के विभिन्न शैक्षणिक कार्यों और उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किए जाने वाले समरसता अवॉर्ड की घोषणा भी की। राज्यपाल ने डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी के पाटण रीजनल सेंटर को श्रेष्ठ रीजनल सेंटर का अवॉर्ड प्रदान किया ।

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(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय

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