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डीपीडीपीए का मकसद सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता के साथ निजता मजबूत करनाः अश्वनी वैष्णव

Ashwani Vaishnaw

नई दिल्ली, 10 अप्रैल (Udaipur Kiran) । केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के डिजिटल व्यक्तिगत डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम (डीपीडीपीए) को लेकर जताई गई शंकाओं का जवाब दिया है। उनका कहना है कि अधिनियम सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता बनाए रखते हुए गोपनीयता की आवश्यकता को सुसंगत बनाता है। डीपीडीपी अधिनियम की धारा 3 के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया है।

जयराम रमेश ने केन्द्रीय मंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 की धारा 44(3) वस्तुतः सूचना अधिनियम, 2005 के तहत मिले अधिकारों को समाप्त कर देगी। उन्होंने इस धारा को रोकने, समीक्षा करने और हटाए जाने का आग्रह किया था।

इसके जवाब में मंत्री वैष्णव ने कहा कि यह संशोधन व्यक्तिगत जानकारी को सार्वजनिक करने से नहीं रोकता बल्कि इसका उद्देश्य गोपनीयता अधिकारों को मजबूत करना और कानून के संभावित दुरुपयोग को रोकना है। कानूनी दायित्वों के तहत जरूरी जनप्रतिनिधियों और मनरेगा जैसे कल्याणकारी कार्यक्रमों से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारी आरटीआई अधिनियम के तहत सार्वजनिक की जाती रहेगी।

वैष्णव ने अपने जवाब में पुट्टस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का जिक्र किया है। कोर्ट ने कहा था कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकार के रूप में संरक्षित जीवन के अधिकार का एक अभिन्न अंग है। निजता का यह अधिकार व्यक्तिगत सूचना की सुरक्षा से निकटता से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि इसी को देखते हुए नागरिक समाज और व्यापक परामर्श प्रक्रिया के दौरान सूचना के अधिकार और निजता के अधिकार के बीच सामंजस्यपूर्ण प्रावधानों की आवश्यकता पर जोर दिया गया था।

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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा

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