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दो हजार रुपये से कम के लेन-देन पर जीएसटी का प्रस्ताव समीक्षा के लिए फिटमेंट कमेटी के पास भेजा गया

2 हजार से कम के लेन-देन पर जीएसटी का प्रस्ताव टला

नई दिल्ली, 09 सितंबर (Udaipur Kiran) । 2,000 रुपये से कम के लेन-देन पर पेमेंट एग्रीगेटर्स को होने वाली आय पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रस्ताव फिलहाल समीक्षा के लिए जीएसटी फिटमेंट कमेटी के पास वापस भेज दिया गया है। जीएसटी काउंसिल की 54वीं बैठक में आज इस मुद्दे पर चर्चा होने के बाद फिलहाल इसे स्थगित करने का फैसला लिया गया।

दरअसल, पेमेंट एग्रीगेटर्स ऐसे प्लेटफॉर्म होते हैं, जिनके जरिए ऑनलाइन लेन-देन किया जाता है। पेमेंट एग्रीगेटर्स ग्राहकों और दुकानदारों के बीच डिजिटल पेमेंट के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं, जिससे डिजिटल पेमेंट की प्रक्रिया आसान हो जाती है। फिलहाल पेमेंट एग्रीगेटर्स हर लेन-देन पर दुकानदारों से 0.50 प्रतिशत से लेकर 2 प्रतिशत तक चार्ज लेते हैं। जीएसटी फिटमेंट कमेटी इसी आय पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रस्ताव लेकर आई थी। अभी तक की व्यवस्था में 2,000 रुपये से कम के लेन-देन से होने वाली आय पर पेमेंट एग्रीगेटर्स को जीएसटी नहीं देना पड़ता है। नवंबर, 2016 में डिमॉनेटाइजेशन के बाद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए 2017 में पेमेंट एग्रीगेटर्स को ये छूट दी गई थी, ताकि डेबिट या क्रेडिट कार्ड अथवा किसी भी पेमेंट कार्ड सर्विस के जरिए किए जाने वाले छोटे पेमेंट पर दुकानदारों पर जीएसटी का अतिरिक्त भार न पड़े।

जानकारों का कहना है कि जीएसटी फिटमेंट कमेटी ने 2,000 रुपये से कम के लेन-देन पर होने वाली आय पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव देते समय तर्क दिया था कि इस फैसले से उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि पेमेंट एग्रीगेटर्स जीएसटी का बोझ दुकानदारों पर डाल सकते हैं, जिससे ट्रांजेक्शन कॉस्ट बढ़ने के साथ ही उपभोक्ताओं के हित भी प्रभावित हो सकते हैं। अगर पेमेंट एग्रीगेटर्स ने जीएसटी के बोझ को ट्रांसफर किया तो दुकानदार भी इसकी भरपाई ग्राहकों से ही करेंगे। ऐसी स्थिति में 2,000 रुपये से कम के लेन-देन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला अंततः उपभोक्ताओं को ही प्रभावित करेगा।

कुछ दिन पहले किए गए एक सर्वे में इस बात का भी खुलासा हुआ था कि भारत में कुल डिजिटल पेमेंट्स में से 80 प्रतिशत ज्यादा ट्रांजेक्शन 2,000 रुपये से कम के होते हैं। ऐसे में अगर छोटे पेमेंट के लिए भी पेमेंट एग्रीगेटर्स पर जीएसटी का बोझ डाला गया, तो इससे अंततः डिजिटल पेमेंट्स की रफ्तार भी प्रभावित होगी।

फिलहाल समीक्षा के लिए दोबारा फिटमेंट कमेटी के पास भेजे जाने से कुछ दिन के लिए यह प्रस्ताव टल गया है। अब फिटमेंट कमेटी छोटे ट्रांजेक्शंस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगने के मामले में संभावित प्रभावों का विश्लेषण करेगी। इस विश्लेषण के बाद फिटमेंट कमेटी अपनी सिफारिश के साथ जीएसटी काउंसिल को एक डिटेल रिपोर्ट पेश करेगी, जिसके आधार पर इस प्रस्ताव को लेकर कोई आखिरी फैसला लिया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / योगिता पाठक

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