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महाकुंभ को लेकर प्रधानमंत्री ने साझा किए अपने संस्मरण, बताया इसे एकता का महायज्ञ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आस्था की डुबकी लगाते हुए

नई दिल्ली, 27 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । प्रयागराज में पिछले 45 दिनों से चल रहे महाकुंभ का सफलतापूर्वक समापन हो गया। महाकुंभ को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने अनूठे अनुभव को एक लेख के माध्यम से अपने ब्लॉग पर साझा किया है। इसमें उन्होंने महाकुंभ को एकता का महायज्ञ बताते हुए इसे युग परिवर्तन की आहट बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस प्रकार 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी, वो अभिभूत करता है! महाकुंभ के पूर्ण होने पर जो विचार मन में आए, उन्हें मैंने कलमबद्ध करने का प्रयास किया है।

प्रधानमंत्री ने अपने लेख में कहा कि महाकुंभ में जिस बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भागीदारी की है वो सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और विरासत को सुदृढ़ और समृद्ध रखने के लिए कई सदियों की एक सशक्त नींव भी रख गया है। प्रयागराज का महाकुंभ आज दुनियाभर के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के साथ ही प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए भी रिसर्च का विषय बन गया है। आज अपनी विरासत पर गौरव करने वाला भारत अब एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। ये युग परिवर्तन की वो आहट है, जो देश का नया भविष्य लिखने जा रही है।

उन्होंने कहा कि समाज के हर वर्ग और हर क्षेत्र के लोग इस महाकुंभ में एक हो गए। ये एक भारत श्रेष्ठ भारत का चिर स्मरणीय दृश्य करोड़ों देशवासियों में आत्मविश्वास के साक्षात्कार का महापर्व बन गया। एकता के महाकुंभ को सफल बनाने के लिए देशवासियों के परिश्रम, उनके प्रयास, उनके संकल्प से अभीभूत मैं द्वादश ज्योतिर्लिंग में से प्रथम ज्योतिर्लिंग, श्री सोमनाथ के दर्शन करने जाऊंगा। मैं श्रद्धा रूपी संकल्प पुष्प को समर्पित करते हुए हर भारतीय के लिए प्रार्थना करूंगा। मैं कामना करूंगा कि देशवासियों में एकता की ये अविरल धारा, ऐसे ही बहती रहे।

उन्होंने महाकुंभ में कमियों के लिए भी मां गंगा से माफी मांगने के साथ जनता जनार्दन से भी खेद प्रकट किया। उन्होंने विश्वास जताया कि महाकुंभ का स्थूल स्वरूप महाशिवरात्रि को पूर्णता प्राप्त कर गया है। मां गंगा की अविरल धारा की तरह महाकुंभ की आध्यात्मिक चेतना की धारा और एकता की धारा निरंतर बहती रहेगी।

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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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