
जहां गूंजते थे सैलानियों के कदम, आज पड़ा है सन्नाटा
मीरजापुर, 18 मई (Udaipur Kiran) । कभी प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक आस्था और सिनेमा प्रेमियों का संगम रहा सिद्धनाथ की दरी आज खंडहरों और खामोशी का घर बन चुका है। चुनार थाना क्षेत्र के सक्तेशगढ़ चौकी अंतर्गत यह स्थल, जहां कभी हरियाली झूमती थी और झरनों की कल-कल गूंजती थी, अब वीरानी ओढ़े खामोश खड़ा है—जैसे खुद अपनी बर्बादी की कहानी सुना रहा हो।
बरसात में हरियाली और पानी की फुहारों से महकने वाली यह घाटी अब तपती दोपहर और टूटते पत्थरों की सिसकियों में सिमट गई है। कभी यहां बच्चों की किलकारियां और बंदरों की उछल-कूद सुनाई देती थी, आज भूख से बेहाल बंदर राहगीरों के आगे हाथ पसारे खड़े हैं।
सिद्धनाथ बाबा की समाधि और मंदिर आज बदहाली की कगार पर हैं। श्रद्धालु जान हथेली पर रखकर वहां पहुंचते हैं और वहां पहुंचकर न धर्मशाला है, न पानी, न छांव—बस खंडहरों में गूंजती एक उदास खामोशी।
जहां होती थी फिल्मों की शूटिंग
यही वह जगह है जहां ‘चंद्रकांता’ जैसे धारावाहिकों की शूटिंग होती थी और बड़े-बड़े फिल्मी कैमरे लगते थे। आज वहीं पर पेड़ों के बीच झूलते सूखे पत्ते और वीरान रास्ते रह गए हैं।
करोड़ों खर्च, फिर भी हाल बेहाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि “सुंदरीकरण” के नाम पर हर दो साल पर करोड़ों आते हैं। 2016 में 4.30 करोड़ की घोषणा भी हुई थी, लेकिन न सड़क आई, न बिजली, न सुविधाएं। सबकुछ फाइलों में बंद होकर रह गया। यह धनराशि किन हवाओं में उड़ गई—यह आज भी रहस्य बना हुआ है।
बिना पानी, बिना सुरक्षा — यही है यूपी टूरिज्म?
पेयजल का कोई प्रबंध नहीं, शौचालय की व्यवस्था नहीं और जो हैंडपंप था वो भी चोरी हो गया। आश्चर्य की बात ये है कि अब तक कोई जवाबदेही तय नहीं हुई और न कोई कार्यवाही।
अब नहीं चेते तो सब कुछ खो देंगे
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि समय रहते इस ऐतिहासिक धरोहर को पुनर्जीवित किया जाए, वरना यह विरासत इतिहास की कब्र में दफन हो जाएगी।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
