Uttrakhand

चमोली जिले के ऐराठा गांव के पैदल मार्ग की दुर्दशा, ग्रामीणों को आवाजाही में हो रही कठिनाई

गोपेश्वर, 19 सितम्बर (Udaipur Kiran) । चमोली जिले के देवाल विकास खंड का अनुसूचित जाति बाहुल्य ऐराठ गांव इन दिनाें पैदल मार्ग की समस्या से जूझ रहा है। वन विभाग द्वारा बनाया गया पैदल रास्ता गांव के ऊपर स्थित सड़क पर बरसाती पानी की निकासी सही न होने के कारण लगातार क्षतिग्रस्त हाे रहा है, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

गांव के लाेगाें को सुरक्षित पैदल मार्ग नसीब नहीं हाे रहा है, और उन्हें जान जाेखिम में डालकर चट्टानों का सहारा लेकर देवाल बाजार तक पहुंचना पड़ रहा है। ऊपर से भूस्खलन का खतरा और नीचे पिंडर नदी बहने से हर वक्त उनकी जान पर खतरा मंडराता रहता है। वन विभाग द्वारा पैदल सड़क के सुधार कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन देवसारी मोटर सड़क से आने वाले पानी के कारण ऐराठा का पैदल मार्ग बार-बार क्षतिग्रस्त हो जाता है।

हालांकि, वन विभाग ने एक वैकल्पिक रास्ता बनाया है, लेकिन यह मार्ग गांव से दो किलोमीटर अतिरिक्त दूरी पर स्थित है, जिससे ग्रामीणाें की मुश्किलें कम नहीं हाे रही हैं। गांव के पूर्व प्रधान मदन राम और राजेंद्र कुमार ने आराेप लगाया है कि वन विभाग ने मोड़ा, कंनमुनियां, और जोगो गदेरे के ओडर गांव तक के पैदल रास्ते की अनदेखी की है, जाे पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। वे इस मार्ग के शीघ्र मरम्मत की मांग कर रहे हैं।

ग्राम प्रधान खीम राम के अनुसार, हर वर्ष बरसात के माैसम में पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो जाता है। अगस्त माह में वन विभाग द्वारा वैकल्पिक रास्ता बनाया गया था, लेकिन भारी बरसात के कारण मार्ग बार-बार क्षतिग्रस्त हो रहा है।

पूर्वी पिंडर रेंज के क्षेत्राधिकारी हरीश थपलियाल ने बताया कि ऐराठा के ग्रामीणाें की शिकायत पर अगस्त माह में मोड़ा क्षेत्र में 50 मीटर पैदल मार्ग का सुधार कार्य किया गया था। ग्रेड वायर लगाकर मार्ग काे स्थिर करने का प्रयास किया गया, लेकिन पिंडर नदी के कटाव और देवसारी सड़क से आने वाले पानी के कारण मार्ग बार-बार क्षतिग्रस्त हो रहा है।

वहीं, सहायक अभियंता लोनिवि थराली, जगदीश टम्टा ने बताया कि ऐराठा गांव के लिए आठ किलोमीटर लम्बी पदमला-कजेरू सड़क का प्रथम चरण राज्य योजना से स्वीकृति मिल चुकी है, जिसमें पिंडर नदी पर 65 मीटर सेतु भी ‌है। सड़क निर्माण की फाइल वन विभाग देहरादून को भेजी जा चुकी है, और स्वीकृति मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।

(Udaipur Kiran) / जगदीश पोखरियाल

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