Chhattisgarh

बदलने लगी नक्सल प्रभावित इलाके की तस्वीर, बीएसएफ का कैंप स्कूल-छात्रावास में हुआ तब्दील

bondanar balak chatravas

कांकेर, 7 सितंबर (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिला जिला में प्रशासन ने सराहनीय पहल करते हुए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दो खाली हो चुके कैंप को छात्रावास में तब्दील कर दिया है। अब इसको बच्चों के लिए स्कूल और छात्रावास बनाया गया है।

अंतागढ़ इलाक़े के बोंदानार और कधईखोदरा गांवों में स्थित कैंपों में पहले बीएसएफ के कंपनी का संचालन बेस था। नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए तैनात सुरक्षा बलों ने यहां हालात बेहतर होने के बाद अपनी गतिविधियां अब आगे के क्षेत्र में केंद्रित कर ली हैं। शिक्षकों ने जानकारी देते हुए बताया कि यह बीएसएफ़ का कैंप ख़ाली होने के बाद इसके स्ट्रकचर का इस्तेमाल बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि इस इलाक़े में नक्सलियों की गतिविधियों में कमी आने के कारण बीएसएफ़ कैंप को अंदरूनी इलाक़ों में शिफ्ट किया गया है। हालांकि यहां अब तक बिजली नहीं पहुंची है। बच्चों को सोलर लाइट के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बीएसएफ ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आगे बढ़ते हुए बोंदानार शिविर को रावघाट क्षेत्र के पादर गांव में स्थानांतरित कर दिया है। वहीं कधईखोदरा कैंप को पड़ोसी नारायणपुर जिले के जंगलों में स्थानांतरित कर दिया गया है। वर्ष 2010 में स्थापित बोंदानार शिविर को पिछले साल फरवरी में स्थानांतरित किया गया, जबकि कधई खोदरा शिविर की स्थापना वर्ष 2015 में हुई थी, जिसे इस साल फरवरी में स्थानांतरित किया गया।

अंतागढ़ के अतिरिक्त कलेक्टर बीएस उइके ने भी बताया कि कधई खोदरा गांव वाले कैंप को मौजूदा शैक्षणिक सत्र से सरकारी हाईस्कूल के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि दूसरे को पिछले साल ही आदिवासी छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रावास बना दिया गया था। उन्हाेने बताया कि कधई खोदरा स्कूल में 33 विद्यार्थी नौवीं और 10वीं कक्षा में पढ़ते हैं, जिसमें 16 लड़कियां हैं। वहीं बोंदानार छात्रावास में छठी से 12वीं कक्षा तक के कुल 75 लड़के रहते हैं। उन्हाेने बताया कि दोनों शिविरों में बच्चों के लिए खेल का मैदान, पेयजल, शौचालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।

अंतागढ़ में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जयप्रकाश बढ़ई ने बताया कि दो शिविरों का स्थानांतरण सुरक्षाबल की ओर से मौजूदा प्रतिष्ठानों के आस-पास के क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत किए जाने का नतीजा है। नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए धीरे-धीरे और अधिक शिविरों को आंतरिक इलाकों में स्थानांतरित किया जाएगा। अच्छी बात यह है कि प्रशासन खाली किए गए शिविरों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों, खासकर शिक्षा के लिए कर रहा है। एक और खाली किए गए शिविर को बिजली उपकेंद्र के रूप में उपयोग करने की योजना बनाई जा रही है।

(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे

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