-अदालत में व्यक्तिगत पेशी से स्थायी छूट के लिए किया था निवेदन
-अगली सुनवाई 27 को, पीडि़ता के बयान होंगे दर्ज
गुरुग्राम, 10 मई (Udaipur Kiran) । नाबालिग बच्ची की वीडियो को तोड़-मरोडक़र प्रसारित करने के मामले में आरोपी चित्रा त्रिपाठी की अदालत में व्यक्तिगत पेशी से स्थायी छूट के लिए आवेदन को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने खारिज कर दिया है। इस मामले में विभिन्न समाचार चैनलों से संबंधित आठ आरोपी भी अभियोजन पक्ष ने बनाए हुए हैं।
मामले की पैरवी अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार मिश्रा और नाबालिग को न्याय दिलाने में जुटी सामाजिक संस्था जनजागरण मंच के अध्यक्ष हरि शंकर कुमार तथा उनकी टीम कर रहे हैं। शनिवार काे उन्हाेंने बताया कि पिछली तारीख पर हुई सुनवाई में आरोपी चित्रा त्रिपाठी ने अदालत में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने की याचिका दायर की थी। उनका तर्क था कि व एक वरिष्ठ मीडियाकर्मी हैं। उनके पास न्यूज रिपोर्टिंग, प्राइम टाइम एंकरिंग सहित कई जिम्मेदारियां हैं। इसलिए उन्हें व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी जाए।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने उनकी इस याचिका का विरोध किया। उनका तर्क था कि कानून की नजर में सभी आरोपी समान होते हैं। केवल पेशेवर हैसियत के आधार पर किसी को स्थायी छूट देना न्यायिक प्रणाली की मूल भावना के खिलाफ होगा। अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों से सहमति जताते हुए उनकी विशेष रियायत देने वाली याचिका खारिज कर दी। अब इस मामले में अगली सुनवाई आगामी 27 मई को होगी। जिसमें पीडि़ता का बयान दर्ज किया जाएगा। अधिवक्ता का कहना है कि इस मामले में अन्य आरोपी आरोपी ललित सिंह बडगुज्जर और सुनील दत्त वशिष्ठ ने भी पेशी से छूट के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन उन्होंने सुनवाई के दौरान स्वयं ही अपनी याचिका वापिस ले ली।
बता दें कि 2 जुलाई 2013 को पालम विहार क्षेत्र के सतीश कुमार (काल्पनिक नाम) के घर संत आसाराम बापू आए थे। बापू ने परिवार के सदस्यों सहित उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। उस समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो आदि भी बनाई गई थी। बापू आसाराम प्रकरण के बाद टीवी चैनलों ने बनाई गई वीडियो को प्रसारित किया था। परिजनों ने आरोप लगाए थे कि उनकी व आसाराम बापू की छवि धूमिल करने के लिए वीडियो को तोड़-मरोडकर पेश किया। परिजनों ने पालम विहार पुलिस थाना में शिकायत दर्ज कराई थी।
(Udaipur Kiran)
